Book Title: Savivaran Gyanarnav Prakaranam Gyanbindu Prakaran
Author(s): Yashovijay Gani
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha
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भाग्यमाथानुक्रम
एतद्ग्रन्थ स्थविशेषावश्यक ॥४॥
UPiroiRUCH
तुज्झं बहुअरभेया १९१ ३१ १५ | नयणमणोदजिविय २.४ ३३ १४ | सव्वगओ त्ति य बुद्धी २१६ ३७ १५ ता भिन्नलक्खणा वि हु१९२ ३१ १७ जुज्जइ पत्तविसयया २०५ ३३ २३ सव्यासव्वागहण २१६ ३९ तत्थोग्गहो दुरूवो १९३ ३१ २४ पाति सद्दगंधा २०५ ३३ २५ दळामणो विन्नाया २१७ ४२ बंजिज्जइ जेणत्थो, १९४ ३२ जंते पोग्गलमइया २०६३४ २ करणतणओ तणुसं २१८ ४२ अन्नाणं सो बहिरा १९५ ३२ ६ धूमोव्व संहरणओ २०७ ३४ २ | नज्जइ उबघाओ से २१९ ४२ तकालंमि वि नाणं १९६ ३२ ९ गेइंति पत्तमत्थं २०८ ३४ २६ जइ दम्वमणोतिबलो २२० १२ । जइ वन्नाणमसंखेच्च २०० ३२ १४ लोयणमपत्तविसयं २०९ ३९
नीउं आगरिसिउं वा २२२ ४२ २२ जं सहा ण वीसुं २०१ ३२ १६| डझेज पाविउ रवि २१. ३५ ९ सो पुण सयमुवधायण २३३४२ २४ समुदाये जइ नाणं २०२ ३२ २१ गंतु ण रूवदेसं २११ ३५ १.
इट्ठाणिट्टाहार २२१ ४३ ८ तंतू पडोश्यारी २०३ ३२ २२ | नइ पत्तं गेण्हेजउ २१२ ३६ १५
सिमिणो ण तहारूवो २२४ ४३ कहमवत्तं नाणं. १९७ ३३ १ गंतुं नेएण मणो २१३ ३७४ |
इह पासुत्तो पेच्छइ २२५ ४३ १८ लक्खिज्जइ त सिमिणा १९८ ३३ ३ | नाणुग्गहोवघाया २१४ ३७ ६ | दीसन्ति कासइ फुडं २२६ ४४ जगतो विन याणइ १९९ ३३६ दव्वं भावमणो का २१५ ३७ ११ । न सिमिणचिन्नाणाओ २२७ ४४
REARRIER
॥४॥

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