Book Title: Saraswatollas Kavya Vishe
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 1
________________ "सारस्वतोल्लासकाव्य" विशे - सं. विजयशीलचन्द्रसूरि मात्र १५३ पद्य-प्रमाण आ लघुकाव्य, मध्यकालीन संस्कृत काव्यसाहित्यमां एक अनोखी भात पाडे तेवं मजानुं काव्य छे. आना कर्ताए पोतानुं नाम अज्ञात राख्यं छे, अने पोताना गुरुनु नाम (पद्य १५३) निर्देश्युं छे. पोताना गच्छ के गुरुपरंपरानो पण तेमणे क्यांय उल्लेख कर्यो नथी. आ काव्यनी मने मळेली एक मात्र प्रतिना आधारे आ संपादन थयुं छे, अने तेथी आमां केटलीक शुद्धिओ थवी आवश्यक लागे छे, जे बीजी प्रति मळे तो ज संभवित थाय. पांच पत्रोनी आ प्रति, अनुमानतः १६मा शतकमां लखायेली जणाय छे. काव्यनो विषय : श्रीनन्दिरत्न नामना साधुवरना अनामी शिष्यसाधुवर्ये, पोतानी जडताने दूर करवा माटे करेली सारस्वत-साधनानुं हृद्य अने व्यमय वर्णन-ए आ काव्यनो विषय छे. कर्ता पोते ज काव्यना जाणे के नायक छे, अने ते पोताना अनुभवतुं बयान आपतां आपतां केटलांक मस्त वर्णन पण आपे छे; आ ज आ काव्यनी खूबी पण छे. कर्ता पोताने 'कश्चित् जनः' तरीके (पद्य १) निर्देशे छे अने पछी ज्यारे ज्यारे पोताने रजू करवानो प्रसंग आव्यो त्यारे त्यारे 'सः' पदथी पोताने ओळखावे छे. प्रथम पद्यमां ज कर्ता जणावे छे के-"पोतानी जडताथी लज्जित हैये, एक मनुष्य, श्रीगुरुनी शुश्रूषा करवापूर्वक, सारभूत एवा सारस्वत मंत्रने प्राप्त करीने, रात-दिन तेना जापमां मची पड्यो हतो." . आ पछीनां नवेक पद्योमा जापविषयक स्थिति-पद्धतिनुं मोघम वर्णन छ, जेमां पद्मासने बेसवानी, शौच करवानी, श्वेत वस्त्र-परिधाननी, स्फटिकनी माला वडे जापनी नोंध मळे छे. जापनो पंदरमो दिन दीपावली दिन (११) होवानुं जणावीने, पोतानो आ जाप संभवतः १५ दिननो होवानुं कर्ताए आडकतरुं सूचन आप्युं छे. ए पछीनां पद्योमा दीपोत्सवी पर्व- अने तेमां थता लोकोना व्यवहारोनुं अत्यंत रोचक-रसप्रद वर्णन थयुं छे. आ वर्णन कर्ताने नि:शंक सुसज्ज कविनो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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