Book Title: Sarasvatina Bhinna Bhinna Swarupo
Author(s): 
Publisher: Unknown

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Page 81
________________ (१३) एवमेवैतदित्यं कुरुत एनेतिया: कमिन्सति एबमुरिले विजने रित्युक्ते एयद एष देवानां निशे गहिलोउस्तीति एवं चास्य गरिते. स्थ 2 कस्पान्यपि एकस्यापि निभाशालल्यानरस्मादियुत्तस्मात्यां देवी नपतीअनुपास्य | सेबागकलाच नः गाली देतर गरम पावतेत्यादि शला प्रशस्मा मायालेतालाब कम सेवा परिसरहन्तलपारं परंतीतबार गम तय गोतालअपेरणेलादतात्पतिजनरलनमा स्मयोगेका कशी दलोन लो पारस्वता प्रस्मनु मानने सन्त्रणापेन लामालेगले लगाने लषा का प्रापितों की कारे. लोग्गवृत्त भोजरं अनजामालाला लाया मारपीते लानतस्तत्लापादारति सरस्चात पति पहही गलते तितो भीमकान सोदित डोनगोमेगालेता राजेले ततो,लको सीमानामा वागनादिनी गगलांत समाचार कोजगः तिमी तृतीनो सारस्वतः एतस्पलक्षनापे यावल सिदिः स्यात् (राधान प्रपत्रकान्याने रे कोकार नादाय द्वितीकामात भाला अनन्तरकन्दालतात् लानकायलादि नीत्पक्षरालि, एतत्काल गणपति समीति पदे यरीत्या प्रतोनती काव्य नमसा योगे: ब्रियते ततोला की मी नवना नादिनी भगवति सरस्वति जगः शते-लतमी

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