Book Title: Sarasvatina Bhinna Bhinna Swarupo
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Publisher: Unknown
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डोहिमगिरि दुहिता का
ब्रह्मानामो पराख्या प्रततून पलिका शीषेंद्रीगुण ॥ स्वागं स्वगलियाव्यं व्यरचयदिति या कच्छमी कुच्छपीगार वीणासा शास्त्रदेष्णाः सपदिदिशत् तो मंहमानंदवृंदरशा यस्याआधंतमंलर्वपुरम: कुंडलीवैकतंत्रो
मंत्री विद्याधितंत्रो प्रगत्ययी ग्रामपज्जादिकार्या [as?1 रामलूंरखा-सपा
मूच्छां जानाविधान,
वीणा वाग्देवतायाः राचएको परं एका
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दिग्दती पष्टियंत्रः शितितलमभवत् पत्रगुपद्रवींदा
बिंदूमेरुश्र्वनामिः शिवतुरिव एक गिरी खंडके लडकानेि ॥ वर्णास्यस्तोदयाद्रीहढच रहले यसकादिवासा
वर्गीयन्त्राऽस्तु जीवः पठनकुरिहबाक पुस्तकंवादे बनाएशा अभ्रं श्री तालपत्रं समजनिम ल्ली राजती जणणिक ममिल्पिट्संज्ञघातुर्गुरु मृगुणांतर्गत चंद्रासः। मामकीयल बिंदू रविदाकरौ यत्र संध्यै चलख
मेरुर्यत्रोऽस्तुकांडं अमदलमिस्साए पुस्तकं तत्रिने पः॥उता
पी

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