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________________ 2 २५) डोहिमगिरि दुहिता का ब्रह्मानामो पराख्या प्रततून पलिका शीषेंद्रीगुण ॥ स्वागं स्वगलियाव्यं व्यरचयदिति या कच्छमी कुच्छपीगार वीणासा शास्त्रदेष्णाः सपदिदिशत् तो मंहमानंदवृंदरशा यस्याआधंतमंलर्वपुरम: कुंडलीवैकतंत्रो मंत्री विद्याधितंत्रो प्रगत्ययी ग्रामपज्जादिकार्या [as?1 रामलूंरखा-सपा मूच्छां जानाविधान, वीणा वाग्देवतायाः राचएको परं एका ल दिग्दती पष्टियंत्रः शितितलमभवत् पत्रगुपद्रवींदा बिंदूमेरुश्र्वनामिः शिवतुरिव एक गिरी खंडके लडकानेि ॥ वर्णास्यस्तोदयाद्रीहढच रहले यसकादिवासा वर्गीयन्त्राऽस्तु जीवः पठनकुरिहबाक पुस्तकंवादे बनाएशा अभ्रं श्री तालपत्रं समजनिम ल्ली राजती जणणिक ममिल्पिट्संज्ञघातुर्गुरु मृगुणांतर्गत चंद्रासः। मामकीयल बिंदू रविदाकरौ यत्र संध्यै चलख मेरुर्यत्रोऽस्तुकांडं अमदलमिस्साए पुस्तकं त‌त्रिने पः॥उता पी
SR No.032031
Book TitleSarasvatina Bhinna Bhinna Swarupo
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages124
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size16 MB
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