Book Title: Sarasvatina Bhinna Bhinna Swarupo
Author(s):
Publisher: Unknown
View full book text
________________
सायं साय सुमव्या विशुभ निलम शमादिश्याटुमानों
देवैर्वन्यातृदेवैरसुरगुरूनुतातारमामानमस्या ऐन्द्र राम-चिरांति विनतनरिति मां यत्सु प्रोक्सीमसो वा
वेदे विद्यासुवणैः सुकृतहतिधियानागगाहर्यमा या totr
ब्रलागिसाकार्यात्स्थितिविरचनतो एवीति प्रकाशात -ौद्रीयाविष्टपानामितियति पति नि:स्तूमते वेदविद्यः। लोके काकोदरीये जगमवाचवता सुरेन्द्रादि देवक
वाचा सादेवतापि त्रिसुरराएमपिनातु नित्यं श्रियंाना
ब्रजा ब्रलाहयांतत् परमिति परमं शं परासा.परासा।
दद्यादयादिदवी हदिदिविमृद्धिता व सुरामासुरामा नित्यानित्मादिगांतनु मुवम यता नेकपाझरूपा ।
मायामायागमाया पृत विमललमा स्वा प्रकाशाप्रकाशा

Page Navigation
1 ... 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124