Book Title: Sarasvatina Bhinna Bhinna Swarupo
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Publisher: Unknown
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सितलिट पुण्डरीकं क्लिनिज सहजं पुण्डरीकः प्रभाभिः स्तौति श्रोः पुण्डरीक स्थितिरहिमामेये पुण्डरीकं हिमांमः ।
काटेमा पुण्डरीका सनमसमा मिया पुण्डरीका दयो बोर यस्याः सा पुण्डरीका दियमवतु सुता पुण्डरोकासनस्य
॥४३
हँसांमोजे निषया शतदल दलभाः शुभ दोतिप्रवाह
वाहती है गंगागृलाना मपिखलु जगतो मेवनं कुतिया | स्नात्वा सिन्यौ सुधानां सपदिसमुदिता मानने माननीयां। समिश्रातच वाचे रचयतु वचसा मीश्वरी साचिये वः 11४४,
भाले ।
पीतं छुटि जुटं जटानां शिरसेि वहति या चन्द्रलेखां वक्लेनेत्रचयं ध्वनिम पुरणले मुण्डराजी ज्जराए । ग सद्भुजाता गुरुकुच युगलं तस्लिमुग्ध सुमध्ये
भ्रष्टा
रक्तं चिरं शबस्था दिशतु किमपिशं बसा सदा वाग्मुदा व
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