Book Title: Sarasvatina Bhinna Bhinna Swarupo
Author(s):
Publisher: Unknown
View full book text
________________
उल
A
बार केवर युगमं मजति च ही धुकं रत्नचुबि।
ओणी कांची कलापः पदकमलयुगे सयुग सराय र कारागाद गांगेय कांतिः सृजतु टरुगीरामी-थरी सा प्रियं
यस्या धामादि रस्ता विभ्युरुपरिता पुस्तकामीति माता। को दानान्यच्छांगभाभि स्त्रिभुवनमरिखले पूरयत्या घरत्यार सुई उभं सुवास: स्तिकमलरला भाव स्निग्धरा
शक्ति काव्य क्रियायो बितरतु विनतां सा गिरी देवतावः
-
स्वीय स्यंगस्य भासाबरतलनरुपणं सर्वत: सं सृजती।
सित्तं सिंदूरमारैरिव चरणसरोजालि रक्तनमामिः। लोणी बरला मजलधिसमासिंगित मंऽयंती। -देवीस्व: स्त्रेण वश्याभिधामिपरिहाता यशं सारदा व
Naam.

Page Navigation
1 ... 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124