Book Title: Sanskrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): V Vardacharya
Publisher: Ramnarayanlal Beniprasad

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Page 5
________________ ( २ ) में गद्यकाव्य तथा चम्पू-ग्रन्थों का वर्णन हुआ है । ये साहित्य के दो स्वतन्त्र विभिन्न रूप हैं । अध्याय १६ पौर २० में कथा-साहित्य और नीति-कथाओं का वर्णन है। ये ग्रन्थ-गद्य और पद्य दोनों रूप में हैं । ऐतिहासिक महत्त्व के ग्रन्थ काव्य, गद्य और नाटक इन तीनों रूपों में लिखे गए हैं, अतः उनका वर्णन नाटकों के बाद २४वें अध्याय में किया गया है। आस्तिक दर्शनों और धार्मिक दर्शनों का वर्णन अध्याय ३५ में प्रा है, क्योंकि ये सभी दर्शन आस्तिक-दृष्टिकोण के हैं । . इस विषय को लेकर लिखे गये ग्रन्थों में कतिपय त्रुटियों का दृष्टिगोचर होना स्वाभाविक ही है । समय-निर्धारण-सम्बन्धी कठिनाइयों को पार करना प्रायः कठिन ही है । इसके अतिरिक्त पाश्चात्य विद्वानों ने कुछ असम्पुष्ट सिद्धान्तों का समर्थन किया है और बहुत से भारतीय विद्वान् भी उन मतों का समर्थन करते हैं । इस ग्रन्थ में जिन विषयों का विवेचन किया गया है, आशा है समालोचकवर्ग उदारतापूर्वक उन पर विचार करेंगे । प्रस्तुत नवसंस्करण का संशोधन और परिवर्धन श्री देवेन्द्र मिश्र ने किया है । मूल लेखक के अंग्रेजी संस्करण में अनेक नवीन ऐतिहासिक वस्तुएँ जोड़ दी गई हैं अतः हिन्दी संस्करण में भी उनको संशोधित और परिवर्धित करना आवश्यक जान पड़ा । अब तक की खोजपूर्ण नयी ऐतिहासिक सामग्रियों को प्रस्तुत करने के कारण ग्रन्थ की उपादेयता और भी बढ़ गई है। प्राशा है प्रस्तुत ऐतिहासिक रचना सुधी पाठकजनों की आवश्यकता की पूर्ति कर उनकी ज्ञानवृद्धि करेगी और उन्हें संतोष होगा।

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