Book Title: Sanskrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): V Vardacharya
Publisher: Ramnarayanlal Beniprasad

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Page 9
________________ ( ४ ) अध्याय २३. कालिदास के परवर्ती नाटककार मृच्छकटिक का लेखक -- विशाखदत्त, हर्ष, भट्टनारायण, भवभूति आदि नाटककार -- रूपकात्मक नाटक -- छायानाटक - - संस्कृत नाटकों का ह्रास | पृष्ठ २३८-२७२ २४. इतिहास ऐतिहासिक ग्रन्थों का अभाव -- हर्षचरित और राजतरंगिणी आदि ग्रन्थ । २५. काव्य और नाट्यशास्त्र के सिद्धान्त साहित्य, अलंकार -- विभिन्नवाद, रीतिवाद, रसवाद, अलंकारवाद, ध्वनिवाद, वक्रोक्तिवाद, गुणवाद, अनमानवाद और औचित्यवाद -- रीति के भेद, वैदर्भी, गौडी, पांचाली आदि -- रसों की संख्या -- शान्तरस -- ध्वनि - सिद्धान्त काव्यलेखन के उद्देश्य । २८. २७३ - २७८ २७६-३०१ २६. शास्त्रीय ग्रन्थ - - शास्त्रीय ग्रन्थों की विशेषताएं और व्याकरण ३०२-३१६ शास्त्र का लक्षण —- शास्त्रों की विशेषताएँ- --व्याकरण शास्त्र - पाणिनि, पतंजलि आदि — —स्फोटसिद्धान्त - पाणिनि के प्रतिरिक्त अन्य व्याकरण की शाखाएँ - प्राकृत-व्याकरण । २७. छन्दःशास्त्र और कोशग्रन्थ छन्द -- वृत्त और जाति - - कोशग्रन्थ -- समानार्थक और नाना र्भक । ज्योतिष ज्योतिष -- गणित ज्योतिष, फलित ज्योतिष, गणित, हस्तरेखा शास्त्र — यूनानी और भारतीय गणित ज्योतिष | ३१७-३२१ ३२२-३३०

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