Book Title: Sanskrit Sahitya Ka Itihas Author(s): V Vardacharya Publisher: Ramnarayanlal Beniprasad View full book textPage 4
________________ प्राक्कथन इस ग्रन्थ में प्रयत्न किया गया है कि संक्षेप में संस्कृत साहित्य का पूरा विवरण दिया जाए । यह संस्करण मुख्यरूप से कालेज के छात्रों की एतद्विषयक आवश्यकता की पूर्ति के लिए प्रस्तुत किया गया है । इस विषय पर आजकल जो पुस्तकें उपलब्ध हैं, उनमें से अधिकांश पुस्तकें १३वीं या १४वीं शताब्दी तक के साहित्य का ही परिचय देती हैं । वैदिककाल, श्रेण्यकाल, नाटक और दर्शनों आदि का पृथक-पृथक् पुस्तकों में वर्णन किया गया है । अभी तक ऐसी कोई पुस्तक नहीं लिखी गई है, जिसमें उपर्युक्त सभी विषयों का एक ही ग्रन्थ में विवेचन हुआ हो। यह ग्रन्थ इस न्यूनता की पूर्ति करता है । इसमें वैदिककाल से लेकर गत शताब्दी तक लिखे गये सम्पूर्ण संस्कृत साहित्य का संक्षेप में विवेचन है। इस छोटे से ग्रन्थ में यह संभव नहीं है कि इस ग्रन्थ में वर्णित सभी विषयों का विस्तृत विवेचन और वर्णन हो सके । तथापि कतिपय महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर यथासंभव विस्तृत प्रकाश डाला गया है, जैसे--वाल्मीकीय रामायण का लेखक कौन है, कालिदास का समय, दण्डी का समय, त्रिवेन्द्रम् नाटकों का लेखक भास इत्यादि। संगीत, ज्योतिष, धर्मशास्त्र, दर्शन आदि विषयों पर केवल लेखकों और उनके मुख्य ग्रन्थों के नाम का ही उल्लेख किया गया है । विषय-विवेचन में कुछ परिवर्तन भी किए गए हैं। रामायण का विवेचन महाभारत से पूर्व हुआ है । तेरहवें अध्याय में काव्य की पद्धतियों पर लिखे गए ऐतिहासिक काव्य का भी विवेचन हुआ है । गीतिकाव्य का वर्णन १४वें अध्याय में हुआ है । १६वें अध्याय में सुभाषित-ग्रन्थों का वर्णन किया गया है। उनमें संगृहीत श्लोक काव्य-ग्रन्थों से उद्धृत किए गए हैं, अतः उनका पृथक्-वर्णन ही उचित था । अध्याय १७ और १८Page Navigation
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