Book Title: Sanskar ABCD Author(s): Priyam Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar View full book textPage 2
________________ ABCD My dear brothers & sisters ! How are you? Fine? आज आपको ऐसी बात कहनी है, जिससे आपका जीवन सुखी हो। आप स्वयं भी सुखी हों। और आपके आसपास के लोग भी सुखी हों। जब नर्सरी के क्लास में आपका 1st day था। क्या आपको याद है? मम्मी ने आपको कैसा तमाचा मारा था कि आप कितने रोए थे, वह मुझे आपको याद नहीं कराना है। नर्सरी के पहले दिन आपने शायद ABCD सीखा था. A for Apple, B for Ball, C for Cat, D for Dog. Right है? Well, आज मैं आपसे जो बातें करने जा रहा हूँ, वह भी है तो ABCD की ही, परन्तु यह ABCD उससे अलग है, इसमें A for Apple नहीं है। इसमें है A for Art of living मात्र समय व्यतीत हो, दिन, महीने और वर्ष बीतते जाएँ, उसे जीवन जीना नहीं कहा जाता है। कुत्तों और कौओं को भी तो जीवन मिला है। उनका भी समय व्यतीत होता है। वास्तव में जीवन जीने के लिए हमें Art of living आना चाहिए। एक बहुत बड़ा दार्शनिक था, सोक्रेटिस। वह अनेक प्रकार से Lucky था। परन्तु उसका एक Bad-luck था कि उसको Wife बहुत खराब मिली थी। महाभारत की भाषा में कहूँ, तो उसकी Wife हिडिंबा जैसी थी। दिन-रात उसके साथPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16