Book Title: Sanskar ABCD
Author(s): Priyam
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 11
________________ ABCD सिसक-सिसक कर रोने लगेंगे। इतना बड़ा त्याग मम्मी-पापा ने हमारे लिए किया है। हम अपनी होशियारी से इतने बड़े नहीं हो गए हैं, बल्कि हम अपने मम्मी-पापा के उपकारों के कारण यहाँ तक पहुंचे हैं। अब हमें क्या करना है? हमारा फर्ज क्या है?रोज सुबह उन्हें प्रणाम करना। जहाँ तक सम्भव हो सके, हमें उनकी सेवा करनी है। पापा थके मांदे घर वापस आएँ तो उनके shoes उतारें, उन्हें पानी दें, वे लेट जाएँ तो उनके पैर दबाएँ। घर के काम में मम्मी की मदद करें, हम सोफा पर बैठे-बैठे टी.वी. देखते रहें और मम्मी कचरा फेंकने नीचे जाए, तो यह हमारे लिए शरम की बात है। मम्मी से कह दें... "तुम मुझे कोई न कोई काम बतलाती रहो... नहीं तो मैं खाना नहीं खाऊगा...” । हमारी लाचारी की स्थिति में हमारे मम्मी-पापा ने हमें सम्भाला था, उनकी लाचारी की स्थिति में हमें उन्हें सम्भालना है। हमें यह संकल्प करना चाहिए कि, "मैंने जब पहली सांस ली थी, तब मेरे मम्मी-पापा मेरे पास थे, मैं उनकी आखिरी साँस तक उनके पास रहूँगा।” ___ आज घर जाकर सबसे पहला काम - मम्मी-पापा के पैर छूना, रोती हुई आँखों से उनसे माफी मागना। Sorry मम्मी! Sorry पापा! मैंने आज तक आपको बहुत परेशान किया। मैंने मात्र अपने बारे में ही विचार किया है, आपके बारे में कभी भी विचार नहीं किया। मैंने कितनी जिद की है, Demands किया है। कितनी बार आपके सामने गुस्सा किया है। I am very sorry. पर अब मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा। अब से आप जो भी कहेंगे, वह करूंगा। I promise you. आज आप अपने दिल में एक बात लिखकर रख लें, 'मम्मी-पापा मेरे घर के भगवान हैं।' आप जो भी करें, वह इस बात को याद करके करें। Yes, this is home Discipline. 2nd is School Discipline. जिस प्रकार मम्मी-पापा घर के भगवान हैं, इसी प्रकार यहाँ आपको पढ़ानेवाले आपके प्रिन्सीपल्स, टीचर्स – ये आपके स्कूल के भगवान हैं। I Know, बहुत से स्टूडेन्ट्स टीचर्स की मश्करी करते हैं, उनकी Acting करके सबको हँसाते हैं, उनकी निन्दा करते हैं, उनकी बात नहीं मानते हैं... सही बात है ना? My dears! That's bad manner. Why do you come to

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