Book Title: Sanskar ABCD
Author(s): Priyam
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 13
________________ 13 ABCD नीचे गिर पड़ा। उसके हाथ में नाश्ता का डब्बा था। डब्बा गिरकर खुल गया। नाश्ता बिखड़ गया। एक ओर सचिन की आंखों में आंसू थे और दूसरी ओर रमाकान्तजी की आँखों में भी आंसू थे। उन्होंने सचिन से कहा, "सचिन, कोई खेले और तू ताली बजाए, इसलिए मैं तेरे लिए इतनी मेहनत नहीं करता हूँ, बल्कि तू खेले और दुनिया ताली बजाए, इसलिए मैं मेहनत करता हूँ।” My dears, सचिन को आप इसलिए जानते हैं, कि अपने गुरु के प्रति उसके मन में आदर था। सचिन यदि गुस्सा हो गया होता... जाईए, आप कौन होते हैं मुझे डांटनेवाले, मुझे मारनेवाले, लो यह बैट... आपका क्रिकेट आपको मुबारक... मुझे नहीं सीखना क्रिकेट विकेट। तो आज आप सचिन को नहीं पहचान रहे होते। सचिन को आप इसलिए जानते हैं, कि अपने गुरु के प्रति उसके मन में आदर था। सिकन्दर को आप इसलिए जानते हैं, कि अपने गुरु एरिस्टोटल के प्रति उसके मन में आदर था। छत्रपति शिवाजी महाराज को आप इसलिए जानते हैं, कारण कि अपने गुरु रामदास के प्रति उनके मन में आदर था। नरेन्द्रभाई मोदी को आप इसलिए जानते हैं, कारण कि उनके गुरु के. सुदर्शन के प्रति उनके मन में आदर है। आनेवाली दुनिया आपको जाने, इसके लिए पहली शर्त यह है कि अपने गुरु के प्रति आपके मन में आदर के भाव हों। न विना गुरुसम्बन्धं ज्ञानस्याधिगमः स्मृतः गुरु ही ज्ञान का प्रवेशद्वार है। जो स्टूडेन्ट्स गुरु के प्रति अपने मन में सम्मान के भाव नहीं रखते हैं, उनके भारी स्कूल-बैग एक बोझ बनकर रह जाता है। उन्होंने अपने माँ-बाप के पसीने की कमाई को waste किया है। ___My dears, always respect your teachers. जब वे वर्ग में आते हैं, तब हाथ जोड़कर नमस्ते कहते हुए उठकर खड़े हो जाए। Teachers आपको स्कूल के बरामदे में, केम्पस में, सड़क पर या मार्केट में जहाँ कहीं भी मिलें, उन्हें हाथ जोड़कर नमस्ते कहें। I ask you शर्म आती है? यदि शर्म आती हो तो इस बात पर हमें शर्म आनी चाहिए? We should be proud of our teach ers. कभी भी Teachers की निन्दा नहीं करनी चाहिए और न सुननी चाहिए। हमारी संस्कृति कहती है -

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