Book Title: Sanskar ABCD
Author(s): Priyam
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 16
________________ 16 ABCD खतम... "बचाओ..." तभी सिंह ने जोर से छलांग लगाई। युवक को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था... अब तो उसके गले से आवाज भी नहीं निकल रही थी। बहुत हिम्मत करके वह कुछ बोलना चाहता था, तभी सिंह का पंजा सीधा उसके मुंह पर आ पड़ा। सिंह उसके कान के पास आया और धीरे से बोला, "आवाज़ मत कर, वरना दोनों की नौकरी जाएगी।” युवक समझ गया कि, मैं जैसा चिम्पांजी हूँ, वैसा ही यह सिंह है। "आओ भाई, हमदोनों एक समान हैं।" तेरा भला हो, पहले कहना चाहिए था ना, बेकार में इतना डरा दिया। Zootime पूरा हुआ। युवक को लगा कि एक बार Zoo का research करना चाहिए। उसने प्रत्येक पिंजरे का निरीक्षण किया। बाघ के पिंजरे में बाघ का Costume पडा था, चीते के पिंजरे में चीते का Costume पड़ा था, रीछ के पिंजरे में रीछ का Costume पड़ा था। युवक को सारा idea समझ में आ गया। ___My dears, वे सभी बाहर से जानवर थे, परन्तु अन्दर से मनुष्य थे। हम सभी बाहर से मनुष्य हैं, परन्तु अन्दर से क्या हैं? ___ यदि हमें दूसरों को लूट लेने का मन करे, दूसरे को ठगने में मजा आता हो, तो समझना कि हम अन्दर से बन्दर हैं। यदि हमें गुस्सा बहुत आता हो, तो समझना कि हम अन्दर से साँप हैं, यदि हम छल-कपट करते हैं, तो समझना कि अन्दर से हम सियार हैं। यदि हम लड़ाई-झगड़ा और गाली-गलौज करते हों, तो समझना कि हम कुत्ते हैं। ____My dears, Who are we? हम मनुष्य हैं, प्रेम, करुणा, सेवाभाव, परोपकार, शान्ति, शिष्टाचार, सभ्यता ये सभी हमारे सद्गुण हैं। हमारे पास जो भी आए, वह शान्ति प्राप्त करे, यही हमारी मानवता का लक्षण है। My dears, This is social discipline. This is the path of the pleasure. Please always remember this ABCD. Be happy in your life. Wish you all the best.

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