Book Title: Sanmati Tark Prakaran Part 04
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 12
________________ पृष्ठ * सन्मतितर्क० चतुर्थखण्ड - विषय निर्देश * पृष्ठ विषय विषय १ .......दर्शन-ज्ञानोपयोग स्वरूपम् १३ .....व्यापार द्वारा अर्थग्रहण मानने पर अनवस्था १ .......एकान्तिक उपयोग अप्रमाण १४ .....नीलादि अर्थ में तीन प्रकार के कर्मत्व की २ .......मूलगाथा-१ व्याख्या प्रारम्भ अनुपपत्ति .......द्रव्यास्तिक-पर्यायास्तिक ग्राह्य १५ .....विज्ञानवादिमत का निरसन, अर्थ प्रत्यक्ष से सिद्ध २ .......उपयोगभेद-प्रमाणमतभेद १६ .....निराकारज्ञान से अर्थव्यवस्था अशक्य - ३ .......प्रमाणस्वरूप मीमांसा विज्ञानवादी ३ .......प्रमाणतत्त्वविविधव्याख्या | १७ ..... अर्थ का ज्ञान' इस प्रतीति से निराकारज्ञान ........बोधमात्र प्रमाण - पक्ष में अव्याप्ति का निरसन .......वैभाषिक प्रमाणलक्षण निरसन | १८ ..... अर्थ की बुद्धि' इस प्रतीति से पृथक् बुद्धि ६ .......बोध में अर्थाकारता असंगत - निराकार बोधवादी की सिद्धि ७ .......प्रमाण स्वगत अर्थाकारवेदी नहीं हो सकता १८ ..... 'प्रकाशता' से अतिरिक्त नीलादि उपलब्धि का ८ .......निराकार बोधवाद में नियत निषेध विषयव्यवस्था की अनुपपत्ति | १९ .....षष्ठी विभक्ति भेदनियामक नहीं निराकारबोधपक्ष में इन्द्रियसंनिकर्ष से १९.....बोध की निराकारता का निरसन, साकारता नियतार्थव्यवस्था का समर्थन चक्षु आदि सामग्री नीलादिविषयता की २० .....चक्षु आदि से रूप के उपलम्भ की अनुपपत्ति प्रयोजक का निरसन साकारवाद में नियत व्यवस्था पर | २१ .....साकारवाद में अर्थव्यवस्था की अनुपपत्ति का प्रश्नचिह्न आपादन .ज्ञानसाकारता का ग्रहण साकार/निराकार | २१ .....विज्ञानवाद में स्वतन्त्र बाह्यार्थ-असिद्धि ज्ञान से ? भूषण है निराकारवाद में प्रत्यासत्तिनियमाभाव | २२ .....साकारज्ञानप्रमाणवादनिरसनम् प्रसंग का उत्तर २२ .....सिंहावलोकन-संदर्भस्मृति ११ .....अनुमान या अर्थापत्ति से बाह्यार्थ का | २३ .....अहमाकार प्रतीति शरीरविषयक नहीं है। ग्रहण असम्भव २३ ..... ग्राह्य से भिन्न, ग्राहकज्ञान के निषेध का निरसन १२ .....प्रतिभासमान पिण्डाद्याकारवत् स्तम्भादि बाह्यार्थसिद्धि २४ .....सुखादि बाह्यार्थग्राहक नहीं होते, ज्ञान १२ .....साकारज्ञान से बाह्यार्थ असिद्धि होता है। १२ .....निराकार ज्ञान से ही बाह्यार्थसिद्धि | २५ .....अर्थापत्ति अर्थग्राहकज्ञान की असाधक १३ .....निराकार ज्ञान बाह्यार्थ का ग्राहक नहीं -|२५ .....बुद्धि का स्वरूप - स्वपरार्थग्रहण विज्ञानवादी |२५ .....नीलादि की ज्ञानमयता का निषेध ८........ १०.....निराकारवादन बादा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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