Book Title: Sanmati Tark Prakaran Part 04
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 17
________________ १४ विषय निर्देश पृष्ठ विषय पृष्ठ विषय १४५ ...व्यवहारअक्षम निर्विकल्पप्रत्यक्ष का प्रामाण्य १६५ ...विकल्पशून्य निर्विकल्पानुभवसिद्धि का निरसन कैसे? | १६६ ...विकल्प की असदर्थता का साधन-निरसन १४६ ...निश्चयसापेक्ष निर्विकल्पप्रामाण्य उपपत्ति १६६ ...अर्थदर्शक निर्विकल्प ज्ञान पर चक्रक दोषापत्ति १४६ ...प्रवृत्ति के अन्वय-व्यतिरेक निश्चयसंलग्न | १६७ ...शब्दसंयोजना विना भी गोदर्शनरूप निर्णय १४७...विकल्पबुद्धि प्रत्यक्ष या अनुमान ? | १६८ ...निरंशवस्तुजन्य दर्शन निरंशग्राहि ऐसा विधान १४८ ...निश्चयविकल्प अनुमान - बौद्ध असंगत १४९ ...निर्विकल्प से प्रवृत्ति का समर्थन । | १६९ ...निर्विकल्प को वस्तुग्राहि मानने पर १५० ...अनुमान से अर्थाध्यवसाय अनुपपन्न स्वर्गादिविवाद कैसे ? १५१ ...सविकल्पप्रत्यक्षत्व-स्वार्थनिर्णयज्ञानप्रामाण्ययोः | १७० ...स्वर्गादिदायकसामर्थ्य का निर्विकल्प साधनम् - उत्तरपक्षः | १७१ ...एक पदार्थ में शक्ति-अशक्ति धर्मद्वय की अनुपपत्ति १५१ ...सविकल्पज्ञान प्रत्यक्ष है, स्वार्थ निर्णयज्ञान १७२ ...निर्णयात्मक अनुभवपक्ष में अनिष्टप्रसञ्जन का प्रमाण है - सिद्धान्ती निरसन १५२ ...ग्राहकप्रमाणाभाव-आद्यविकल्प का निरसन | १७३ ...अभ्यासादि की सहायता से विकल्प का उत्पादन (पृ.२०४ पं.१ तक) अप्रमाण १५३...ऐक्याध्यवसाय करनेवाला कौन ? | १७४ ...एक प्रघट्टक के अस्मरण का दृष्टान्त अनुपयुक्त १५३ ...ईश्वरादिविकल्प की तरह ऐक्याध्यवसाय अशक्य | १७५ ...सामर्थ्यानुभव से सामर्थ्य विकल्प न होने की १५४ ...विकल्प-अविकल्प ऐक्याध्यवसाय की दुर्घटता बौद्ध आशंका १५५ ...अविकल्प के मुकाबले में विकल्प की बलवत्ता | १७६ ...बौद्ध आशंकित सामर्थ्यविकल्पाभाव का निरसन असंगत १७७ ...एक ज्ञान में भ्रान्त-अभ्रान्त धर्मद्वय की संगति १५६ ...एकान्तभेद में सम्बन्ध की अनुपपत्ति १७८ ...पारमार्थिक सत्स्वरूपव्यवहार योग्यता का १५७ ...विकल्प-निर्णय/अनिर्णय का भेद या अभेद अनुमान असंगत असंगत १७९ ...प्रत्यक्ष के अविषय में अनुमान प्रवृत्ति कैसे ? १५८ ...कथंचिद् अभेदपक्ष में, विकल्प में निजस्वरूप | १७९ ...दृश्य-प्राप्य के एकत्व की बुद्धि आभासिक नहीं से सविकल्पतापत्ति १८० ...निरंशवस्तुसामर्थ्य प्रामाण्य-प्रयोजक नहीं १५९...विकल्प की परमार्थनिर्विषयता अयुक्त है १८१...अर्थजन्यत्व अर्थग्राहकताप्रयोजक नहीं १६० ...विषय और अविकल्प में तादात्म्य/तदुत्पत्ति | १८२ ...ज्ञान में अर्थकारणता साधक अन्वय-व्यतिरेक असंगत निष्फल १६१ ...विकल्प-अविकल्प के ऐक्याध्यवसाय का | १८२ ...प्रतिभासविषय ज्ञान का निमित्त - अध्ययन निश्चायक कौन ? का निरसन १६२ ...सर्वज्ञ ज्ञानक्षण से समानकालीन अर्थक्षण के| १८२ ...अन्वय-व्यतिरेक के विना कारण नहीं ... इत्यादि ग्रहण का असम्भव बौद्धमत का निरसन १६४ ...सब विकल्प विशदताविकल नहीं १८४ ...अनुमान से अनुमेय की सिद्धि दुष्कर १६४ ...निर्विकल्प ज्ञान अनभवसिद्ध नहीं | १८५ ...कारण की विज्ञानविषयता पर दो विकल्प Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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