Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 3
________________ भारतीय ज्ञानपीठ काशी ज्ञानपीठ-ग्रन्थागार "जाणं पयास" कृपया - (१) मैके हाथोंसे पुस्तकको स्पर्श न कीजिये। जिदपर काराग पाये। (१) पते सहाक कर उलटिये । धूप प्रयोग न कीजिये 1 (१) विज्ञानीके किये पते न मोड़िये, न कोई मोटी चीज़ रहिये । काका कड़ा काफ़ी है। (s) हाक्षियोंपर विज्ञान न बनाइये, न कुछ किजिये । (५) की पुस्तक उलटकर न रजिये, न दोहरी करके पहिये । (६) पुखकको समयपर अवश्य छोटा दीजिये । "हैं, इनकी विनय कीजिये"

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