Book Title: Sankalan 05 Author(s): Viniyog Parivar Publisher: Viniyog Parivar View full book textPage 3
________________ 22. १३. रजौषधिमूल्य घरावता वृक्ष. १४. दूध मांसाहारी जोराङ छे सेवा प्रचारनी - लीतरमां વિનિયોગ પરિવાર સંકલનની સાંકળ लिंजोजी जाह पेटन्ट मारे साहुं जने हजहर उपर विदेशी इंपनीनी नी नवर.. या भेजममां. हवे सायुर्वेह १८. गीरनुं मंगल विनाशना पंथे विश्वजेंडे सूथवेता सुधारा वडे मेडिसोनेथयेस अनुलव. 29. १८. दृष्टिक्षेत्रे या विदेशी धाराडा. १७. वीरजीना साघनोनो व्याय वयराश नुदुशानडारड छे मेरी दुसरो रहने विश्व. २०. | सडसन अर्थ : श. ५-001 ८ ताः 32- 3. ८४ १५. 99. ૬.૨૭ ११. नरसिंहराव माने छे } गरीज होवु ते खेड गुनो - छे २८. १८. ૯ર २८. २८. 30.32 ३२.Page Navigation
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