Book Title: Samyaktva Mul Bar Vratni Tip
Author(s): Udyotsagar Gani
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 144
________________ १३८ एकादश पौषधोपवास व्रत. वोजो उतारे, जे माटे शीतल बाया विश्रामनुं स्थानक होय तथा घडिवार जलाशय होय त्यां वेसें, त्यारें श्रानंद याय, थाक मटे, शरीर हलवुं थाय, फरी बोजो उपाडीने चालतो थाय. ए प्रमाणे वे, चार विश्राम लेतो थको सुखें धारेले ठेकाणे पहोची जाय, तेम श्रावकें पण दररोज सावद्य व्यापारनो बोजो घणो उपाड्यो ठे. अने तेवो महोटो जारे बोजो उपाडीने चालेठे, ते ज्यारें पांखी प्रमुख पर्वना दिवस यावे, त्यारें प्रसन्न इने घरनो जे सावध कर्मरूप वोजो, तेने उतारी घरमांज राखीने विश्रामरूप क्षेत्र पौ षध शालामां जश्ने वेसें, ने पोसह धारे त्यारें, सावद्यरूप बो जानो परिश्रम एटले थाक उतरी जाय. ने जावना उपदेशरूप शीतल पवन थकी विषयकषायरूप गरमी, विकल्प पशीनो मटी जाय, आत्मा शीतल थाय ने जिनशासनरूप कल्पतरुनी बा यामां वेसीने पोताना स्वरूपचिंतवनरूप जलें करीने घणा का नुं पाप धोइ नाखे. आत्माने ज्ञान, दर्शन अने चारित्ररूप जा वोजनथी पोषे. ए प्रमाणे वचमां वचमां पोसह करण रूप वि श्राम लेतो को आराधकजावना स्थानकै जइ पहोचे. अहींयां दिवसें अथवा पंदरे दिवसें पोसह करे, तो पण फल एक पोसहनुं एटलुं युंढे. शास्त्रमध्ये एक पोसहनुं फल कयुंठे, ते जाणवुं, जे प्रभुनी आज्ञापूर्वक एक अहोरात्री पोसह करे, ते जीव वे हजारने सातशे कोडी तथा ते उपर सीत्तोतेर कोडी सी तोतेर लाख, सीत्तोतेर हजार, सातरों ने सीत्तोतेर एटला पल्योप म तथा एक पल्योपमना नव जाग करीयें तेवा सात जाग उपर एटलुं देवतानुं श्रप्य वांधे; अने एटलीज नरकगतिथी वटे, हो ! एक पोसह कस्याथी जीव, एटलो लान उपार्जे ? तेना कसंख्यानी स्थापना (29999999999 3 ) एटलुं फल, एक शुद्ध व्यवहारपोसहनुंवे . अने वली जो व्यवहारपोसद क .

Loading...

Page Navigation
1 ... 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201