Book Title: Samvat Pravartak Maharaja Vikram
Author(s): Niranjanvijay
Publisher: Niranjanvijay

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Page 5
________________ 8.58 023498 gyanmandir@kobatirth.org मेवाड, मालवा, पंजाब, बंगाल तथा कच्छ, गुजरात, बिहार, मध्यप्रान्त, यु. पी. आदि सभी प्रान्तों की जनता हिन्दी भाषा को बोल या समझ सकती है, इसी आशय से ग्रन्थका हिन्दी अनुवाद करने की आवश्यकता हमको लगी. परन्तु अनेक प्रकार की अन्य प्रवृत्तियों के कारण अभिलाषा मन में ही रही. . . समयका आगे बढने के साथ जावाल श्री संघ की अत्याग्रहपूर्वक विनति से पूज्य मुनिवर्य श्री शिवानं दविजयजी महाराज के साथ विक्रम संवत् 2003 का चातुर्मास गुरुदेव की आज्ञानुसार जावालमें हुआ. इस चातुर्मास में श्रीसंघ के आगेवानोने शासन प्रभावना के अनेक शुभ कार्य उत्साहपूर्वक किये. उपरोक्त चातुर्मास में विक्रमचरित्र को हिन्दी भाषा में अनुवाद करने की दीर्घकाल से मन में अभिलषित जो इच्छा हृदय-घट में स्थित थी, इस इच्छा को शास्त्राध्ययन में सदा उद्यत, गुप्त दानवीर श्रीमान् ताराचंदजी मोतीजीकी सत्प्रेरणा मिली और जावाल में विक्रम संवत् 2003 के चातुर्मास में इस ग्रंथको लिखने का आरंभ किया. विक्रम सं. 2008 की सालमें प्रथम से सात सौ तक प्रथम भाग छपवा कर प्रकाशित किया, बाद विश्वविख्यात श्री राणकपुर की प्रतिष्ठा प्रसंग पर जाने के लिये पूज्यपाद आचार्य श्री विजयोदयसूरीश्वरजी, पूज्यपाद आचार्य श्री विजयनंदनसूरीश्वरजी अमदावाद से विशाल साधुसमुदाय के साथ मारवाड के प्रति विहार हुआ, प्रतिष्टाका कार्य बहुत अच्छी तरह संपन्न हुआ, और सादडी श्री संघ की अति आग्रहभरी विनति से वि. सं. 2009 का चातुर्मास पूज्य गुरुदेवों के साथ वहाँ ही हुआ. बाद मेरा दूसरा चातुर्मास गुरुदेव की आज्ञा से वि. सं. 2010

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