Book Title: Samvat Pravartak Maharaja Vikram
Author(s): Niranjanvijay
Publisher: Niranjanvijay

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ की गई, और स. 1999 के चातुर्मास अन्तर्गत श्रीपर्दूषणा -पर्वाधिराज के आसपास के काल में 'श्री जैनधर्म सत्यप्रकाशकसमिति'ने विक्रमविशेषांक के लिये विद्वान पूज्य मुनिवरादि तथा अन्य लेखकोंको महाराजा विक्रम संबंधी लेख लिख कर भेजने के लिये मासिक और पत्रिका द्वारा विनति की, तदनुसार मेरे पर भी लेख के लिये समिति का निमंत्रण आया. उस समय में सौराष्ट्र में प्रसिद्ध श्री महुवा-बंदरगाह में शासनसम्राट्, परमोपकारी, परमकृपालु, पूज्यपाद आचार्य श्री विजयनेमिसूरीश्वरजी महाराज की निश्रा में विक्रम संबंधी ऐतिहासिक सामग्री का यथाशक्ति अन्वेषण कर रह था और पूज्य गुरुदेव की कपासे फुल्सकेप कागज के 22 पेजका गुजराती लेख लिखकर समिति को मैंने भेजा था, वह लेख 'मालवपति विक्रमादित्य के हेडींग से उस अंक में छप चूका है. x __उपयुक्त लेख लिखते समय पूज्य पंन्यास प्रवर श्री शुभशीलगणि महाराज रचित संस्कृत श्लोकबद्ध श्री विक्रमचरित्र पढनेका अवसर मिला उसे पढते अनुवाद करने की दिल में इच्छा जाग्रत हुई, जैसे जैसे में विक्रमचरित्र आगे आगे पढता गया वैसे वैसे उस में नीतिशास्त्र के उपदेशक श्लोक ठोस से भरे हुए देखे तो लोकों को अति उपयोगी होगा, ऐसा जान कर उसका हिन्दी करने की अभिलाषा तीव्र होने लगी, क्योंकि, हिन्दी भाषा हिन्दुस्तान के सभी प्रान्तो में चल सकती है. मारवाड, + छोटी पुस्तक के आकार में गुजराती में यह लेख छप चूका था, अप्राप्य होने से वह पुस्तक पुनः स, 2009 में सचित्र रुप में छप गया है. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S, Jun Gun Aaradhak Trust

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 754