Book Title: Samvat Pravartak Maharaja Vikram
Author(s): Niranjanvijay
Publisher: Niranjanvijay

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Page 13
________________ or or m 68-5 सरांवर की मच्छली और रामचन्द्रजी ... ... 340 69-6 पद्मपुर में राजा के सालाको शूली ... ... 348 70-7 वेश्याकी बुद्धि द्वारा तापस से पांच रत्नों को पुनः लेना / 71-8 महाराजा विक्रमने मोजडी को हृदय से लगाई ... 358 72-9 विक्रमने विधाता-देवी का हाथ पकडा .... ... 367 73-10 विवाह मंडप में यकायक ढाल में से बाघ का उत्पन्न होना 374 / '74-11 राजा विक्रम की सभा में अपूर्व मणि रत्न... ... 381 *75-12 एकदण्डया महल में रही हुई सौभाग्यसुंदरी और गगनधूलो ___की चारों आंखो का मिलन ... . ... ... 392 76-13 एकदण्डया महल में राजा का यकायक आना ओर योगी को ___ बुलाना तथा सौभाग्यसुदरी को गगनधूली प्रगट करने कहना 397 -77-14 थप्पड के मार से रूक्मिणी भूमि पर गिर पड़ी.., ... 404 78-15 तीनों खड्डे में रो-रोकर समय बिताते है और सुरूपा अन्न -जल नित्य दे रही है... ... ... .... 416 '79-16 गगनधली के घर महाराजा का पुन: आना और उसका गुणानुवाद करना ... ... ... ... 422 80-17 ज्योतिषी चन्द्रसेन की हस्तरेखा देख रहा है... 81-18 राजपुत्र रूपचन्द्र हाथी को पडकारता है. ... ... 432 82-19 पद्मा और अग्निक परस्पर बातें कर रहें है... 83-20 रूपचन्द्र का वैताल पर स्वार होकर राजसभा में जाना 447 84-21 महाराजा विक्रम और राजदेवी ... ... ... 451 __ ग्यारवा सर्गःमंगलमूर्ति श्री पार्श्वनाथ . 85-22 पूर्व भव में विक्रम चन्द्र वणिक मुनिजी को भाव से दान .. . 88 // P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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