Book Title: Samvat Pravartak Maharaja Vikram Author(s): Niranjanvijay Publisher: Niranjanvijay View full book textPage 2
________________ - / ICICI श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथाय नमो नमः 912103 संयोजक का निवेदन COM 2297 परम तारक देव और गुरुवरकी असीम कृपाके फल स्वरूप आज अतीव आनंद का अनुभव हो रहा है, विक्रम संवत् 2003 का आर भित कार्य आजRAID पूर्ण होकर प्रगट हो रहा है. जगत में हरेक प्राणी मनोकामना के Reall -ME अनुसार कार्य का आरंभ तो करता ही है किन्तु आरभित कार्य पूर्ण होना-पुण्यबल, पुरुषार्थ एवं भवितव्यता पर ही निर्भर रहता है. मनमन्दिर विराजीत सर्वसमीहीतपूरक श्री शंखेश्वरपाचनाथप्रभु की तथा पूज्यपाद् शासनसम्राट् गुरुदेव की पुण्य कृपा से आज मेरे द्वारा संयोजित यह विक्रमचरित्र प्रकाशक की ओर से प्रकाशित हो रहा हैं. मैं यथामति इस पुस्तक का सुचारु रूपसे तैयार कर पाठकों के सन्मुख रख रहा हूँ. प्राचीन महर्षि के रचिलसेवथों का अनुवाद करना कोई सामान्य बात नहीं है, क्या कें, उन महापुरुषों का ज्ञान-अनुभव विशालसमुद्र सा है हमारा ज्ञान-एवं अनुभव एक विन्दु सा है. . इस ग्रंथका अनुवाद कोई विद्वान मुनिपुंगव के द्वारा हुआ होता तो श्रेष्ठत्तम कार्य होता. ऐसा मैं मानता हुँ, मैं; - अनुवाद करनेके लिये पूर्ण योग्य नहीं हूँ, किन्तु जब तक हमारे / , ACHARYA SRI KAILASSAGARSURIGYANNANDIR है. P.P. Ac. Gunratnasuri MSRI MAHAVIR JAIN ARADHANA KERAKPage Navigation
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