Book Title: Samudrik Shastranu Gujarati Bhashantar Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 3
________________ ॥श्रीजिनाय नमः॥ अथ श्री नाबाहुस्वामिविरचित सामुष्कि शास्त्रनुं गुजराती भाषांतर. We श्रीवर्धमान प्रजुने नमस्कार करीने लोकोनां हित माटे हुं श्री सामुजिक शास्त्र- स्वरूप कहुं बुं. __सामुधिक शास्त्र चौद पूर्वमांहेला विद्यापूर्वमाथी उझरीने सूत्ररूपे गुंथेबुं बे. श्रा सामुजिक शास्त्रनी जघन्या अने उत्कृष्टा एवा बे प्रकारनी वाचना . ___था सामुजिक शास्त्र, प्रथम ढूंकामां स्वरूप क. हीने पालथी विस्तारपूर्वक स्वरूप कहेगुं तथा तेवां लक्षणोने आधारे जेठने शुल अथवा अशुन फलो मलेला, तेउनी कथा पण नविक जीवना बोध माटे टुंकामां कहीशुं तथा पालथी दीदा श्रादिकनां मुहूर्त विगेरेनुं पण स्वरूप कहीशुं. शरीरमां बे नेत्र, बे हाथ, तथा नासिका ए पांच वस्तु लांबी होय, तथा कंठ, लिंग, जंघा अने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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