Book Title: Samraicchakaha Part-2
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Mangal Parekhno Khancho Jain Sangh - Shahpur - Ahmedabad

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Page 2
________________ नमोत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्त याकिनीमहत्तरासूनु-परमगुणानुरागि-परमसत्यप्रिय-भगवच्छीहरिभद्रसूरिविरचिता समराइचकहा। :2KXXXXXX सौराष्ट्रान्तर्गतवळाग्रामवास्तव्यपण्डितभगवानदासकृतसंस्कृतछायानुवादसहिता । [द्वितीयो भागः ७-८-९ भवाः] -रक : प. पू. आचार्यदेवश्री रूचकचन्द्रसूरीश्वराः प्रकाशक : मंगल पारेखनो खांचो श्री जैन श्वे. मू० संघ, शाहपुर-अमदावाद. वि.सं. २०३९ प्रतयः ७५० . इ. स. १९८३ वीर सं. २५०१ मूल्यं पञ्चविंशति रूप्यकाः।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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