Book Title: Samavayanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Hirsundar Muni
Publisher: Jaiselmer

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Page 8
________________ कान सौधर्म देवलालदेवताम व विसागरायमस्थितिमान ईशानदेवलोकश्दे कष्टमं माशं विसागराएमस्ति का वतांन30 लागेशपायकोसोसावमावि ईसाणकयेदेवानहसिसामिया दोसाय विधामय सनवक माराजश्देवलोकदेवतानाजघन्य विसागरोयम स्थितिशय माहेश्चन देवलोके जघन्य कामेरा का देवताना गणाधिपणकमशिकणोजगदि.सागरातमाईचि माहिदकोशाराडार गंगाशि दाइसागरायम स्वितिशय सोधस्वलोकातरमपन२, सुनगेसुत्तलेशम प्रसस्पर्श६ सोमम्मीवतंसक एहसात काम स रसकातरवासवर्णन विमान यादोमाविमा टिईग केदेवर सुसंसदले सुखदह पुजगं सुसनसं सुसफासं सोमवहिं समहिमाणं दिवताण बना। तहन देवतान3 कष्ट विसागरायम स्वितिनाव. महदेवने बिऊ ईमासयतली प्राणप्राणजमाया पाणते पनका विऊपषवानारामा मनस्वास॥ घण देवनागनतनातेसिदेिवाण प्राण दो सागरमाईदिई ये संदेवादाच्यासागशाए मंसिधा पारा स्वास| स्वासघन नासामन्तवास हने छ बिमा र्षसहस्त्रक माहारनमग्रईपजश्यासो संसारमाक्षिकेत आहारलेड़ी लाइकमसिवि निदा करमापविनानीसमविधा सिगदेवाण महिंदामसहारा हिंशाहार सुप्पाघर अगश्यात स्वास मायामुक

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