Book Title: Samavayanga Sutra Author(s): Sudharmaswami, Hirsundar Muni Publisher: Jaiselmer View full book textPage 7
________________ सामायग वितारा कदा ॥ उत्तरपद नक्षत्र बिद्याराक ॥ यमद्या माय एकनारे पर बिपल्यायमस्ति ग्राम बीजीनरकष्टधिवी एकेक के लाइक बिरसागरोपममध्य स्थितिया तिमध्य कहान मकाउ लिडाई दिइएंडचा एडनदीमाएं हो शिवमासिक कमाराएं दे देवनकेशलाइकनुं ॥ विइवल्पोयम स्विति सुमिरेंद्र बलप्राली में वीजा मि संबंधित रनिनानागदेवता ॥ काईमांबिय स्योपम स्विति ग्राउ का सन्निपाताले गदागद पनि वसाईटि में सुविंद बयां शतिया देवास देणाइदो के तलाइक बिपल्या आऊकदा ॥ लिया कहा॥ ईश्रादो 1-1-2 एणीय रनपसाहिटी तर कष्टमि केसलाइक नारकीय चधया चीन विश् एलिमाई (ई दिदा संख्यातनाषामा जिमनुष्यनोपनल हरिवर्षरम्पक क्षेत्र संबधियु गलीय मनुष्य ।। नाकाब मुम सौधर्म पहिल देवलोक केत लोकदेव तीन ॥ किस्साएं पनि नपाई हिई में सोह शिल्पामध्ये स्वितिग्राऊ ईशान बीजें देवलोक केवलादेव तान बिल्यायम स्विति। श्राक पत्रका कहा प्राकारांशी पनि नई दोpadaनाएं एयरटवीर स्याएं या दो असुरक माश्नन पती॥ ६Page Navigation
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