Book Title: Samacharishatakam Author(s): Samaysundar, Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar View full book textPage 8
________________ सामाइयं का तूर्ण बच्चति । पंचसमिओ तिगुत्तो इरिआए उवजुत्ते जहा साहू भासाए सावज्जं परिहरंतो एसणाए कई लेहुं वा पडि लेहिउं पमज्जेतुं, एवं आयाणे निक्खेवणे खेलसिंघाणे ण विचिति विगिंचंतो चा पडिलेहेति य पमज्जति अ, जत्थ चिठ्ठति तत्थवि गुत्तिगिरोहं करेइ । एयाए विहीए गत्ता तिविघेण णमित्सु साहुणो पच्छा सामाइयं करेइ । 'करेमि भंते । सामाइअं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि दुविहं तिविहेणं जाव साहू पज्जुवासामित्ति' कातूणं, पच्छा इरिआवहिभाए पडिकमति, पच्छा आलोएत्ता वंदति आयरिआदि, जहा रायण्णिआ पुणोऽवि गुरुं वंदिता पडिलेहित्ता णिविडो पुच्छति पढति वा । एवं चेइआइ ए सुवि जया सगिहे पोसहसालाए वा आवासए वा । तत्थ णवरि गमणं नत्थि, जो इडिपतो सो सबिट्टीए एति, तेण जण स्स अत्था होइ, (उच्छा हो), आढिया य साहुणो सुपुरिसपरिग्गहेणं जइ सो कयसामाइओ एति, ताहे आसहत्थिमाइण, जाणेण य अहिगरणं वट्टति ताहे न करेइ, कयसामाइएण य पाएहिं आगंतवं तेणं न करेइ, आगओ साहुसमीवे करेति । जइ सो सावओ तो ण कोइ उट्ठेइ, अह अहाभद्दओ ता पूआ कया 'होउत्ति' भण्णति, ताहे पुबरइअं आसणं कीरइ, आयरिया रहिआ य अच्छंति, तत्थ उद्धतमणुते दोसा विभासिअवा । पच्छा सो इडिपत्तो सामाइयं करेइ अणेण विहिणा'करेमि भंते ! सामाइयं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि, दुविहं तिबिहेणं जाव निअमं पजुवासामित्ति, एवं सामाइयं काउं पडितो बंदिता पुच्छति, सो अ किर सामाइअं करेंतो मउर्ड अवणेइ, कुंडलाणि नामामुद्द- पुप्फ तंबोल- पावारगमाइ वोसिरति, एसा विही सामाइअस्स । अत्र चतुर्व्वपि सामायिकस्थानकेषु सामायिकात् पश्चादेव ईर्यापथिक्याः प्रतिक्रमणं स्पष्टीकृतम् ॥ १ ॥ 3Page Navigation
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