Book Title: Ritikavya Shabdakosh
Author(s): Kishorilal
Publisher: Smruti Prakashan

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Page 239
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूका ( २२५ ) सेलिन उदा० १. साहिबी की हद्द तू ही, साहिब सुमति । उदा० गौरी नवरस रामकरी है सरस सोहै तू ही, साह को सुहेलो तू ही संपति को सूहे के परस कलियान सरसति है। धाम है। -गंग -सेनापति सूका-संज्ञा, पु० [सं० सपादक] चवन्नी, चार । सेक- संज्ञा, पु० [सं०] १. विचार, मत २. माना । उद्गार, प्रवाह .. सींचने का पात्र, झरना ४. उदा. बाजे सूम सूका देत पाथर लगाय छाती सिंचाई ५. उपहार ५. गर्म [हिं० सेकना]। बाजे सूमसाहिब सुपारी सी अँचै रहैं । उदा० १. बरनत कबि मतिराम यह रस-सिंगार -अज्ञात को सेक । -मतिराम सूटना-क्रि० स० [? ] फेरना । ३. प्यारे को परस उर सेकु सो सुहात उदा० हथियारनि सूट नेक न हट खलदल कूट ताको जानि बुझि बैरिन न नेकु नियराती लपटि लरै । - पद्माकर -देव सूत-संज्ञा, पु० [सं० सूत्र ] रसना, मेखला, ४. वही बीज अंकुर वही, सेक वही करधनी, शुद्रघंटिका । प्राधार । -रसखानि उदा० कुंज-गृह मंजु मधु मधुप अमंद राज तामै । सेज-संज्ञा, स्त्री० [?] १. समता, बराबरी काल्हि स्यामैं, बिपरीति-रति रॉची री।। २. शय्या । द्विजदेव कीर कल-कंठन की धुनि जैसी, उदा० १. सेनापति कहै अचरज के बचन देखी. तैसिये अभुत भाई सुत-धुनि माँची रो। भावती की सेज अनभावती करति है। ___... द्विजदेव -सेनापति सूती-वि० [सं० सूत्र] अच्छी, सुन्दर ।। सेंट-संज्ञा, स्त्री० [बु०] गाय के थन से निकउदा० सूती सी नाक उसीती सी भौंह सुधारे से लती हुई दूध की धारा, चैया । . नैन सुधारस पीजै । -केसवकसवराय उदा- बिना दोहनी दोहत गैया मुख में मेलत सून - संज्ञा, पु० [सं०] १. पुष्प, सुमन २. शून्य सेंटैं। -बकसी हंसराज ३. पुत्र । सेन-संज्ञा, पु० [सं० श्येन] श्येन, एक प्रकार उदा० १. सेवती कसम ह त कोमल सकल अंग का बाज पक्षी। सून सेज रत काम केलि कौ करति है। उदा० सामां सेन, सयान की सबै साहि के साथ । -सेनापति बाहुबली जयसाहि जू फते तिहारै हाथ । सूप-संज्ञा, पु० [राज०] एक प्रकार का काला -बिहारी कपड़ा २. रसोइया [सं०] सेनापति-संज्ञा, पु० [सं०] १. स्वामि कार्तिकेय उदा० १. पौर सब जे वे देस सुप सकलात हैं। षडानन २. नायक, हवलदार। -गंग तनोसुख सूप पटोर दरयाइ खीरोदक उदा० सेनापति बुधजन, मंगल गुरु गरण, धर्मराज मन बुद्धि घनी । -केशव चैनी पीतंबर ल्हाइ। -मान कवि सूम-वि० [फा० शूम] अशुभ, खराब । सेर-संज्ञा, पु० [सं० शिला] पत्थर का टुकड़ा। उदा० होत सुमेरहु सेर स्यंघ है स्यार कहावत। उदा० बाँके समसेर से सुमेर से उतंग सूम स्यारन पै सेर टुनहाइन के ट्रक्का से । -ब्रज निधि --पदमाकर सेरबच्चे-संज्ञा, स्त्री० [? ] एक प्रकार की सूरज-संज्ञा, पु० [सं० सूर्य+ज ] सूर्य पुत्र, बंदूक । सुग्रीव । उदा० छुटे सेरबच्चे मजे बीर कच्चे तज बालउदा० सुनि सूरज ! सूरज उवत ही करौं असुर बच्चे फिर खात दच्चे। -पद्माकर संसार बल । -केशव सेलनि -संज्ञा, पु० [सं० शल ] १. बाण, २ सूहा-संज्ञा, पु० [हिं० सोहना] १. लाल रंग भाला, बी। २. एक राग । उदा० तुम तौ निपट निरदई, गई भूलि सुधि, हमैं २६ For Private and Personal Use Only

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