Book Title: Ritikavya Shabdakosh
Author(s): Kishorilal
Publisher: Smruti Prakashan

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Page 243
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उप में सपा अन्याय की राज्यो दियो इमाम हरामला सामा हमाम ( २२९ ) हरिलांकी हमाम-संज्ञा, पु० [अ० हम्माम] स्नानागार, हरहाइन-सज्ञा, स्त्री० [हि० हरहाई] नटखट स्नान करने की कोठरी जो गरम कर दी जाती | या बदमाश गाय । उदा० कपिला नाहिं न कूटिंये हरहाइन के दोस । उदा० मैं तपाइ त्रयताप सौं राख्यौ हियौ हमामु । -बोधा -बिहारी हरबल-सज्ञा, पु० [तु० हरावल] सेना का पहले अग्रभाग । हमाल-संज्ञा, पु० [अ० हम्माल] मजदूर, बोझ ढोने वाला। जदा० साजि चमू मधुसाह-सु । हरबल दल करि अग्र । --केशव उदा. दीबे की बडाई देखौ ऊदावत रामदास, हरवाइल- सज्ञा, स्त्री० [ देश ] चंचल या तेरे दिये माल को हमाल हेरियत है। बदमाश गाय । -गंग उदा० जिन दौरियो उपनये हरुबाइल के पाछे । हमेल-संज्ञा, पु० [अ० हमायल 1 १. एक -बकसी हसराज प्राभूषण जो हाथियों के गले में पहनाया जाता हरसिद्धि-सज्ञा, स्त्री [स. हर+सिद्धि] है। २. स्त्रियों के गले का वह प्राभूषण जिसमें शंकर की विजया, मांग । माला की भाँति सिक्के गहे रहते हैं। उदा. गंग धकानि धुकी हर-सिद्धि, कबंध के उदा० १. वारिद से, गिरि से गरुवे, सुप्रसिद्ध धक्कन सोंधर धूके। --- गंग भुसंड भयानक मारे हेम हमैल विभूषित भूषन, गंडनि भौंर भ्रमैं मतवारे । -गंग हरहर-सज्ञा पु०[सं० हरहृत ]शंकर सेहत, २. लूटती लोक लटै सफूल हमेल हिये सुज शंकर द्वारा पराजित, कामदेव, मनोज उदा. हरि बिनु हर योई हरष हरहर हठि, हों ही टॉड न होती। -देव हारी हेरि सूधो मगुन चहति है।-आलम हरकाना-क्रि० प्र० [अनु॰] हड़काना, लल हरा-संज्ञा, स्त्री [सं०] हर की स्त्री, पार्वती कारना । - उदा० करुदै सुदामा सीस बरुदै बरिंगिनि कौ थरु हर कयौ तिलक हराहू कियो हारु है। दै अकूरे हिये हरषि हराकि दै। -देव -केशवदास हराहर-संज्ञा, स्त्री० [१] छीना-झपटी हरजै-संज्ञा, पु० [फ० हज:] हानि, क्षति । ऊधमबाजी २. सपं[हर+हार] उदा० सेज परी सफरी सी पलोटति ज्यों ज्यों उदा० दिन होरो-खेल की हराहर मरयौ हो घटा घन की गरजै री। त्यों पद्माकर सु ती, भाग जागें सोयौ निधरक-नैत काँपि लाजन तं न कहे दुलही हिय को हरजरी । -घनानन्द -पद्माकर हरि - संज्ञा पु० [सं०] घोड़ा, अश्व । हरट्ट-वि० [सं० हृष्ट] मोटे, हृष्ट-पुष्ट । उदा० हरिदल खुरनि खरी दलमली । उदा० हैबर हरट्ट साजि गैबर गरट्ट सबै पैदर के खचरहिं धूरि पूरि मनु चली। -केशव ठट्ट फौज जुरी तुरकाने की। -भूषण हरिन-संज्ञा, पु० [सं० हिरण्य 1 हिरण्य सोना । हरदी-सज्ञा, स्त्री० [स० हरिद्रा] निशा, रात्रि उदा० लाडिली कुंवरि की भुलानी अकुलानी । २. एक पौधा जिसकी जड़ मसाले में काम जाकी तौलियत मानिक के तुला सो हरिन के पाती है। - देव उदा० राधे पै माधौ पठे हरदी अलि सों कहियों हरिमास-संज्ञा, पु० [सं०] अगहन मास । इहि को रस चाखै । -रघुनाथ उदा० प्रान सग हरि ले गये मास हरत हरि मास हरमखाना-सज्ञा, पु० [अ० 1 जनानखाना, -रसलीन अन्तःपुर बेगमों का रहने का महल । हरिलांकी वि० सं० हरि=सिंह + लंक=कटि] उदा. हिरन हरमखाते स्याही हैं सुतुरखाने १. सिंह के समान कटिवाली। पाढ़े पीलखाने औ करंजखाने कोस हैं। उदा० १.तू हरिलंकी चलांकी कर वह बाकी --भूषण । बड़ी बडरी अखियां की। -तोष For Private and Personal Use Only

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