Book Title: Ritikavya Shabdakosh
Author(s): Kishorilal
Publisher: Smruti Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 242
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ह वलती था हंसक-संज्ञा, पु० [सं०] पैर के अंगूठे में पहनने मजबूत । हटपटाय के लगत हैं पोछे पिंडे का एक भूषण, बिछुआ २. हंस तथा जल भूत । -बोधा [हंस-पची विशेष+क-जल]। हटवारी-संज्ञा, स्त्री [हिं० हट + वार] दूकान-. उदा० तिन नगरी तिन नागरी प्रति पद हंसक दारी। हीन । उदा० त्याँ भरि पारी करै हटिवारि को लावै जलज हार शोभित न जहं प्रगट पयोधर बटोही ददै मन रूठे । ---देव पीन । - केशव हथोड़ा--संज्ञा, पु० [हिं० हाथ+मोड़ना ] हॅकरना-क्रि० प्र० [हिं० हाँक 1 चिल्लाना, हाथ फैलाने वाला, माँगने वाला, याचक पुकारना, जोर-जोर से बुलाना, दपं के साथ मिक्षक। बोलना। उदा० हाथी पै न हाथी मांग घोरा पै न घोरा उदा० माइ झकै हरि हांकरिबो रसखानि तक मांग, वे ही काज हथोड़ा होत नर नर फिरि के मुसकैबी। -रसखानि को। --गंग हकनाहक-अव्य० [अ० हक़+फा० नाहक 1 हथनारि--संजा, पु० [हिं० हाथी+नाल] गजजबरदस्ती, २. निष्प्रयोजन, ब्यर्थ । नाल, वह तोप जो हाथी पर चलती थी। उदा० १. तजि के हकनाहक हाय हमैं सजनी उदा० कहुँ सुनारि हथनारि कहुँ, कहुँ रथ सिलह उनने कुबरी को बरी । -भुवनेश सभार । -मानकबि हकाहक--संज्ञा, स्त्री० [अ० हक्क = काटना ] हथलेवा-संज्ञा, पु० [हिं० हाथ+लेना] पाणिघोर युद्ध, घमासान लड़ाई। ग्रहण, विवाह के समय दूलह और दुलहिन के उदा० तह मची हकाहक भई जकाजक छिनक परस्पर हाथ ग्रहण कराने की विधि । थकाथक होइ रही । -पद्माकर उदा० दियौ हियो सँग हाथ के, हथलेय ही हाथ । हरषित हथ्यारन सों जु मिलि करि रन -बिहारी हकाहक कीजिये । -पद्माकर हथौटि-संज्ञा, पु० [सं० हस्त कौशल ] हस्त हचकाना-क्रि० स० [हिं० हचक ] दृढ़ता से __कौशल, हाथ की चतुराई। पकड़ना, जोर से दबाना । उदा० काहे कों कपोलनि कलित के देखावती है उदा० लंक लचकाइ परजंक मचकाइ भरि अंक मकलिका पत्रन की अमलह थोटि है। हचकाइ लपिटाइ छपटाई री। -- 'हजारा' से रसना को भाग, सांचे सौननि सुभूषन है, हजूर-अव्य० [फा० हुजूर ] सामने, समक्ष, जगमगि रहे महा मोहन हथौटी के । प्रत्यक्ष । -घनानन्द उदा० मापनी बिपति कों हजूर हौं करत, लखि हदरी--क्रि० वि० [हिं० जल्दी जल्दी, शीघ्र। रावरे की बिपति-बिदारन को बानि है। उदा० ती लगि लाज बढ़ी हदरी, चहुँ ओर मनी -दास बदरी मढ़ि पाई। -बेनी प्रवीन दारिद्र दुख्ख नासंत दूरि, हरिद्ध सिद्ध हबकारना-क्रि० स० [हिं० हबकना] खाने या संपति हजूरि। -मानकवि दांत काटने के लिए मह खोलना। हटपटाना-क्रि० अ० [अनु॰] जबर्दस्ती करना, उदा० कोटि कोटि जमदूत बिकराल रूप जाक, बलात् किसी को दबाना । हबकारे हे जासो बचै कौन नर है। उदा० अरु पुनि सब जग कहत है, को मरदे । -गंग -दास For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256