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ह
वलती था
हंसक-संज्ञा, पु० [सं०] पैर के अंगूठे में पहनने
मजबूत । हटपटाय के लगत हैं पोछे पिंडे का एक भूषण, बिछुआ २. हंस तथा जल
भूत ।
-बोधा [हंस-पची विशेष+क-जल]।
हटवारी-संज्ञा, स्त्री [हिं० हट + वार] दूकान-. उदा० तिन नगरी तिन नागरी प्रति पद हंसक दारी। हीन ।
उदा० त्याँ भरि पारी करै हटिवारि को लावै जलज हार शोभित न जहं प्रगट पयोधर
बटोही ददै मन रूठे ।
---देव पीन ।
- केशव हथोड़ा--संज्ञा, पु० [हिं० हाथ+मोड़ना ] हॅकरना-क्रि० प्र० [हिं० हाँक 1 चिल्लाना, हाथ फैलाने वाला, माँगने वाला, याचक पुकारना, जोर-जोर से बुलाना, दपं के साथ मिक्षक। बोलना।
उदा० हाथी पै न हाथी मांग घोरा पै न घोरा उदा० माइ झकै हरि हांकरिबो रसखानि तक
मांग, वे ही काज हथोड़ा होत नर नर फिरि के मुसकैबी।
-रसखानि को।
--गंग हकनाहक-अव्य० [अ० हक़+फा० नाहक 1 हथनारि--संजा, पु० [हिं० हाथी+नाल] गजजबरदस्ती, २. निष्प्रयोजन, ब्यर्थ ।
नाल, वह तोप जो हाथी पर चलती थी। उदा० १. तजि के हकनाहक हाय हमैं सजनी उदा० कहुँ सुनारि हथनारि कहुँ, कहुँ रथ सिलह उनने कुबरी को बरी ।
-भुवनेश सभार ।
-मानकबि हकाहक--संज्ञा, स्त्री० [अ० हक्क = काटना ] हथलेवा-संज्ञा, पु० [हिं० हाथ+लेना] पाणिघोर युद्ध, घमासान लड़ाई।
ग्रहण, विवाह के समय दूलह और दुलहिन के उदा० तह मची हकाहक भई जकाजक छिनक परस्पर हाथ ग्रहण कराने की विधि । थकाथक होइ रही ।
-पद्माकर
उदा० दियौ हियो सँग हाथ के, हथलेय ही हाथ । हरषित हथ्यारन सों जु मिलि करि रन
-बिहारी हकाहक कीजिये ।
-पद्माकर
हथौटि-संज्ञा, पु० [सं० हस्त कौशल ] हस्त हचकाना-क्रि० स० [हिं० हचक ] दृढ़ता से __कौशल, हाथ की चतुराई। पकड़ना, जोर से दबाना ।
उदा० काहे कों कपोलनि कलित के देखावती है उदा० लंक लचकाइ परजंक मचकाइ भरि अंक
मकलिका पत्रन की अमलह थोटि है। हचकाइ लपिटाइ छपटाई री।
-- 'हजारा' से
रसना को भाग, सांचे सौननि सुभूषन है, हजूर-अव्य० [फा० हुजूर ] सामने, समक्ष,
जगमगि रहे महा मोहन हथौटी के । प्रत्यक्ष ।
-घनानन्द उदा० मापनी बिपति कों हजूर हौं करत, लखि हदरी--क्रि० वि० [हिं० जल्दी जल्दी, शीघ्र। रावरे की बिपति-बिदारन को बानि है। उदा० ती लगि लाज बढ़ी हदरी, चहुँ ओर मनी
-दास बदरी मढ़ि पाई।
-बेनी प्रवीन दारिद्र दुख्ख नासंत दूरि, हरिद्ध सिद्ध हबकारना-क्रि० स० [हिं० हबकना] खाने या संपति हजूरि।
-मानकवि दांत काटने के लिए मह खोलना। हटपटाना-क्रि० अ० [अनु॰] जबर्दस्ती करना, उदा० कोटि कोटि जमदूत बिकराल रूप जाक, बलात् किसी को दबाना ।
हबकारे हे जासो बचै कौन नर है। उदा० अरु पुनि सब जग कहत है, को मरदे ।
-गंग
-दास
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