Book Title: Ritikavya Shabdakosh
Author(s): Kishorilal
Publisher: Smruti Prakashan

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Page 246
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra हिलमा ( २३२ उदा० भकुना मरंगी अरु हिरसो हरामजादे, लाबर दगंल स्यार भांखिन दिखाये तँ । -ठाकुर हिलना- क्रि० प्र० [देश०] मिलना, परचना । उदा० वंशन के बशन सराहै शशि वंशीवर बंशीधर ससो हंसवंश दिनति है। हिलाक -- स ज्ञा, पु० [फा०] मृत्यु | उदा० मुझ है हिलाक बोच मारना का । हिवाला - संज्ञा स्त्री० [सं० पाला । उदा० हिमकर आननी हिवाला सो ग्रीषम को ज्वाला के कसाला - हीक संज्ञा, पु० [स ं०] हृदय ] २. हिचकी [स ं० हिक्का ] उदा० . घरकत होक नखलीक प्रजहूँ अलीक झलकति पीक -देव क्या मारे आलम ― हिम ] बर्फ.. हो- -सहा० क्रि० [बु० ] थी । उदा० आई ही गाय दुहाइबे कों, सु चुखाइ चली न बछान को घेरति । देव १. हृदय, दिल होर - - संज्ञा, पु० [ ? ] १. हर्ष, मुख्यांश, तत्व, सार । उदा० १. ठाकुर कहत दुख सुख जान्यौई परत यह कह www.kobatirth.org हिये तँ लाय काटियतु है । ग्वाल - कुच कंदुकनि, पलकनि - सोमनाथ प्रसन्नता २. हीरा संज्ञा. पु० [सं०] हृदय हि० हृदय २. एक बहुमूल्य रत्न | उदा० जोबन बजार बैठयो जौहरी लोगन को होरा वाके हाथ ह्व हीर पीर जानें कहान्यो री । ― - ठाकुर हियरा] १. मदन सब बिकात है । - देव - ईर्ष्या, हाँसल - - सज्ञा, जलन, स्पर्धा । स्त्री० [स ं० ईर्ष्या ] कटितट उदा० केसोदास मुखहास हीं सख ही छिन हो छिन सूछम छबीली छबि छाई है । - केशव मुड़ना, पीठ हटना -- क्रि० प्र० [ हि० हटना ] फेरना । उदा- छुटे वार देखे हुटे मोर पाखें । डीठि को गई बृन्द माखें । हुतासनमीत - संज्ञा, पु० [सं० हुताशन: भाग + 'मीत = मित्र ] भाग का मित्र, हवा, पवन । बिना --- -दास Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir > " हूतकार उदा० कान्ह के श्रासन बासनहीन हुतासनमीत को प्रासन कीजे । - केशव हुति श्रव्य ० [प्रा० हितो] लिए, वास्ते, सम्प्रदान कारक की विभक्ति, कारण और अपादान कारक का चिह्न, ओर से तरफ से । उदा० सब दिन तिनसौं लाल, तुम बन जाहुति फिरत हो । किती न बिथा बिसाल, उरनि हमारे होति है | - सोमनाथ हुलकना क्रि० ० [हिं० इलक] वेग से गिरना. उदा० हुलक हुलक्का से सुतुक्का से तरारिन में ललित ललाम जे लगाम लेत लक्का से । पद्माकर - > हुलसना - क्रि० प्र० [सं० उल्लसित] हिलनाडुलना, २. उल्लसित होना । उदा० साँवरे अंग लसै पटपीत, हिये हुलसे बनमाल सुहाई । - देव - हूँछ संज्ञा, पु० [सं० उंछः ] सीला, फसल कट चुकने पर खेतों में जो अन्न प्रवशिष्ट रह जाता है और जिसे बीन कर मजदूर गुजर करते है, उसे सीला कहा जाता है । उदा० हूँछ बृत्ति मन मानि, समदृष्टी इच्छा रहित । करत तपस्वी ध्यान कंथा को श्रासन किए। ब्रजनिधि का मीठा - हूखनि- -संज्ञा, पु० [ ? ] एक प्रकार फल । उदा० ऊख पियूख मयूखनि लखै सुररुखै । हूटना - क्रि० अ० [सं० हुड् = चलना ] १. हटना, टलना २. मुड़ना, पीठ फेरना । उदा० हूटिगो सुमन संग छूटि गो सहेलिनि को भूलि गयो औौरे बनितान को निदरिबो । -प्रतापसाहि For Private and Personal Use Only हूखनि, लाग श्रहख -देव रामनरपाल सों जुरत जंग बजरंग, धीर वैरी-बीरन की हिम्मति इति है । - कुमारमणि हठ्यो देना -- क्रि० स० [हिं० अँगूठा दिखाना ] अँगूठे दिखाना, अशिष्ट व्यवहार करना, गँवरपन दिखाना । उदा० मूनि में गनिबी कितौ हूठ्यौ लाहि । हुतकार - संज्ञा, स्त्री० [अनु० ] हुंकार, उदा० गरज्जे गयंदी ये जंजीर भारें । मनो हैं हनूमंत की हुतकारें । - दं श्रठि- बिहारी गर्जना | - पद्माकर

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