Book Title: Ratnaparikshadi Sapta Granth Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 175
________________ उकुर-फेरू-विरचित कन्या तुल ।१०१५ आ इसाण पूर्व | आग्नेय धननाश मृत्यू उत्तर य नृपदण्ड दक्षिण F मिथुन कर्क सिंह | १०/१५/३०/१५/१० दक्षिण || १०/१५३०/१५/१० | धन मकर कुंभ स मृत्युकर | दरिद्र । मृत्यू वायव्य पश्चिम नैऋत्य काको | ०६ | 5:/०४/ मित्तनास परदेश डिम्भमृत्यू वइसाहे मग्गसिरे सावणि फग्गुणि मयंतरे पोसे । सियपक्खे सुहदीहे' कए गिहे हवइ सुह रिडी ॥ २३ सुहलग्गे चंदबले खणिज नीमा अहोमुहे रिक्खे । उड्डमुहे नक्खत्ते चिणिज्ज सुहलग्गि चंदबले ॥ २४ सवणऽद्द पुस्सु रोहिणि ति उत्तरा सय धणि? उड्डमुहा । भरणिऽसलेस ति पुव्वा मू-म-वि कित्ती अहोवयणा ॥ २५ पुव्वुत्तर नींवैतले घिय अक्खय रयण पंचगं ठवियं । सिलानिवसं कीरइ सिप्पीण समाणणापुव्वं ॥ २६ लग्नं यथाभिगुलग्गे बुहदसमे दिणयरु लाहे ११ विहप्पई किंदे श७१। जइ गिहनींवारंभ ता वरिससयाउँ तम्मि गिहं ॥ २७ दसम चउत्थे गुरु-ससि-सणि कुज-लाहे ११ ( वरिस ताम असी । इग ति चउ छ मुणि. १।३।४।६।७ कमसो गुरु-सणि-सिये-रवि-बुहंमि सयं ॥ २८ १ दिवसे । २ नीमीउ। ३ नीम । ४ ठविउं। ५ बिहप्फई। ६ नीमारंमे । ७ सयाउयं हवई। ८ अलच्छि वरिस असी। ९भिगु । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206