Book Title: Proceedings of the Seminar on Prakrit Studies 1973
Author(s): K R Chandra, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 194
________________ 153 णीसासागमधूसरो ? ९९१ णीहसवेविरसिहं ? १०६८ णूमं (? में) ति जे पहुतं ९८१ (गाथा १. ९१) तक्खणजणिअपरिपसभ ? ९९४ त० ण० स ज सहि अणो १ ९९९ तणुआइआ वराई १ ९८२ (तुलना : गाथा __ (वेबर) ९१९) तणु पि अणि वडअं ? १०११ तरलच्छि चंदवअणे १००९ (तुलना : गाथा (वेबर ९२५) तह कह विडुसुरअसहं ? ९०४ तह बंधणअणुराए ? ९९० तह माणो माणहणाएँ ९९३ (गाथा २.२९) तह माणो माणतीए (? माणहणाए) १०३४ गाथा २.२९) तं कत्थ गर्भ तुह तरुण ? ९०० तं चिअ असोहअमाणो ? ९९४ तं तिअसकुसुमदाणि (? दाम) १०२४ (तुलनाः ।। सरस्वती ६७८.३५१ हरिविजये) तालूरभभाउलखडिअ ८९८ (गाथा १.३७) ता सोक्खं ताव रई ? १०३६ (तुलना : ___ गाथा (बेबर) ९३१) तीए दसणवणअंहखलण ? १००७ (= तीए दसणसुहए) (तुलना : सरस्वती पृ. ७२४. ४८५-हरिविजये ) तीए विअलंतधोरं? १०४१ तुज्झ पिअणाउर० झिअइ ? १०३२ तुरिअपहाइअदिमि ? ९५८ तुह विरहुज्जुगिरओ ९३१ (गाथा ५.८७) तुह ण आणे हिअअं९६५ (शाकुन्तल ३.१५) तु धिरो (2 तुगो थिरो) विसालो (तुलना : ___ वज्जालग्ग .३६१) (गाथा (वेबर) ९३५) तेण ण मरामि मण्णूहि ९९५ (गाथा ४.७५) तो इअ पिआणुवत्तण १ १००९ तोणि णिअपेम्मपडिपसाअ ? ९९१ तो धालव्जापणआ भणइ ? ९९५ तो से कु०भंत० च्छि अहिअ १०४१ (हरिविजये) तो अमाणरहेहिणि ? १०४० थोरि (?) सुएहि रुणं १०२८ (गाथा ६. २८) दइअ गमिअ० वणवादि १ ९९६ दइआलोअपअत्ता १ १०४१ दर्छ चिरं ण ळद्धो ? ९०१ दट्ठण त०ळवाणं ? ८७५ दारट्ठविअसुरदुमं ? १०४७ (हरिविजये) दावतेण तुह मुहं १०२६ (तुलना : गाथा (वे) ९२०) दिट्टम्मि घरपरोहड १ ८९६ दिढमण्णुदूमिआए १०४० (गाथा १.७४) दीससि पिआइ जंपसि १०३२ (गाथा ५.८९) दुक्खंतरिअमणसुह १ ९९८ दुइंस एण ईसा ? ९३५ दुल्लहजणाणुराओ ९५६ (रत्नावली २.१) दूइ ण एइ चंदो पि पुण्गवो (? चंदो वि __ उग्गओ) (तुलना : गाथा (वेबर) ८५४) दुई गआ चिराअइ ९५१ (तुलना : गाथा (वेबर) ८५५) दूईमुहअंदपुलोइरिए ? ९५२ (तुलना : गाथा (वेबर) ८५८) दूमेइ अ मे हिअं १ ९८९ दूरगअ०पिणिअ०ते १ १०१५ दूसहकआवराह ? १०२४ दूसहमंतुपअंतो ? १०२७ दोअ०धो अपसरिओ ? १०४० दोहं चिअ हिअअरं विआ ? १००९ धम्मिअ भम वीसत्थो ८९९ (भम धम्मिअ वीसत्थो (गाथा २.७५) धरिओ अमरिसपसरो ? ९८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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