Book Title: Proceedings of the Seminar on Prakrit Studies 1973
Author(s): K R Chandra, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 193
________________ 152 जाघ ण उज० गिरओ ( ? जत्थ ण उज्जा- जमुच्छिआए ण सुओ १०६७ (तुलनाः सर गरओ ९८२,१०३३ (तुलनाः गाथा (वेवर) स्वती पृ ६७६.३४४ गाथा (वेबर)७११) ८२९) जंवदणखइविणओ ? ९०८ (शूद्रककथायां हरिजलविणअब जसिकामं १ १०२७ मतीवृत्तान्ते) जह इच्छा तह रमिअं ९०० (नुलनाः सरस्वती जं वि अलिओवआरं ? १०१० पृ. ७००.४४३ प्रथमचरणमात्रम् ) ठाणे ठाणे वलिआ ८९७ (तुलना : गाथा जह जह अस्थमइ रवि ? १०३९ __ (वेबर) ८७६) जह जह तीए भवणं ? १००६ ढकंती अहरं आआरेण ? ९०६ जह जह वाएइ पिओ (गाथा ४.४) ढक्केसि चलिअवलण ह०धे ? १०२० जह दिअविरामो णव १०६४ (तुलनाः गाथा णअणणअभणि ण देसि ? १०१३ (वे) ८३९) गइपू (? ऊ) र स०च (? च्छ) हे १०२१ जा अणुण ण गेण्हइ ? १०३९ __ (गाथा १.४५) जाअ सहत्थवक्किवा ? १०७० णच्चणसलाहणणि हे ८७२ (गाथा २.१४) जाणइ जाणावेउ १००८ (गाथा १.८८) ण पिअई० झपई... ? ९९४ जाणिमि कआवराहं ९२१, १०३७ (तुलनाः णयणपहोलिबाह ? ९९० __गाथा (वेबर) ९०२) णवि तह अणालवंती ९८५,१००७ जामि अहिअहिअअवहरिसा ? १०२९ (गाथा ६.६४) जाव अ ण देहि ओहिं ? १०६३ वि तह घरम्मि दड्ढे ? १०६७ जाव ण उट्ठ मनिधण ? ८७९ ण वि तह तक्खणसुअमण्णु ? १००० (तुलना जाव ण लक्खेइ परो ? १०१३ ___ गाथा (वेबर) ९१५) जेहिं चिअ जीविज्जइ ? ९३० ण वि तेण तहा तविआ ? १०४३ जो कहवि सहीहि मुहं १०४१ (गाथा २.४४) ण सहइ कालक्खेवं ? १००६ जो तीए अहरराओ ९९१ (गाथा २-६) ण सहि अणुणअभणिअं? ९९३ जं ज०ध अ०घिसारं (१८८० जत्थ अस्थि __णहपअपसाहिअंगो ९८८,१००२ (तुलना : सारं) हेमचन्द्र का.शा. पृ.५६.२४) गाथा (वेबर) जं जं तणगअं पि ? ८९८ ९३७) जं जं पिउ (हु) लं अंगं १०२१ ( गाथा णाआओ ति पे० खेभ (?) ९५१ णा कुणंति (?ण कुणंतो) चिअ माणं ९८८ जं जं पुलएमि दिसं ८७३ (गाथा ६.३०) _ (गाथा १.२६) जंझा (?झंझा)वाओत्तिणिए? १०६८ (तुलनाः णावेक्खिओ गुरुअणो ९३४ (शाकुन्तल ५.१६) गाथा २.७०, प्रथमचरणमात्रम्) णिक्किव जाआभीरुअ ९३७ (गाथा १.३०) जंतअमे०तं तीइणि ०वोदु ? ९८९ णिद्दाभंगो आपंडुरत्तणं १०१६ (गाथा ४.७४) जं तुह कज्जं तं चेअ? ९५२ (तुलना: गाथा णिप्पच्छिमाइ असई ८९५ (गाथा २.४) (वेबर) ८६१) णिम्मविअमंडणाण वि ! १००२ जं पीअं मंगलवासणार ? १०६७ (तुलना: णीअइ अ०ज णिलिपि (? णीआई अज्ज गाथा (वेबर) ८३७) णिक्किव) ९७६ (गाथा ४.२८) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226