Book Title: Pravachansara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 7
________________ शब्दों का अर्थ व अन्वय दिया गया है। इसके पश्चात संज्ञा-कोश, क्रिया-कोश, कृदन्त-कोश, विशेषण-कोश, सर्वनाम-कोश, अव्यय-कोश दिया गया है। पाठक 'प्रवचनसार' के माध्यम से शौरसेनी प्राकृत भाषा व जैनधर्म-दर्शन का समुचित ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे, ऐसी आशा है। प्रस्तुत पुस्तक के तीन अधिकारों में से केवल ज्ञान-अधिकार,खण्ड-1 प्रकाशित किया जा रहा है। अपभ्रंश भाषा के दार्शनिक साहित्य को आसानी से समझने और प्राकृत-अपभ्रंश की पाण्डुलिपियों के सम्पादन में प्रवचनसार का विषय सहायक होगा। श्रीमती शकुन्तला जैन, एम.फिल. ने बड़े परिश्रम से प्राकृत-अपभ्रंश भाषा सीखने-समझने के इच्छुक अध्ययनार्थियों के लिए 'प्रवचनसार (खण्ड-1)' का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया है। अतः वे हमारी बधाई की पात्र हैं। आशा है कि वे प्रवचनसार के ज्ञेय-अधिकार व चारित्र-अधिकार को भी इसी प्रकार अनुवाद करके पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करेंगी। . पुस्तक प्रकाशन के लिए अपभ्रंश साहित्य अकादमी के विद्वानों विशेषतया श्रीमती शकुन्तला जैन के आभारी हैं जिन्होंने 'प्रवचनसार(खण्ड-1) का हिन्दीअनुवाद करके प्राकृत के पठन-पाठन को सुगम बनाने का प्रयास किया है। पृष्ठ संयोजन के लिए फ्रेण्ड्स कम्प्यूटर्स एवं मुद्रण के लिए जयपुर प्रिण्टर्स धन्यवादार्ह है। जस्टिस नगेन्द्र कुमार जैन प्रकाशचन्द्र जैन अध्यक्ष मंत्री प्रबन्धकारिणी कमेटी दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी डॉ. कमलचन्द सोगाणी संयोजक जैनविद्या संस्थान समिति जयपुर वीर निर्वाण संवत्-2539 13.07.2013 (vi) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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