Book Title: Pratikraman
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 14
________________ प्रतिक्रमण १३ तो यह प्रतिक्रमण देख कर, यदि आज भगवान होते तो, इन सभी को जेल में अंदर कर देते । प्रतिक्रमण माने एक गुनाह की माफ़ी माँग लेना, साफ़ कर देना। एक दाग़ लगा हो, उस दाग़ को धो कर साफ़ कर डालना। वह जैसी थी वैसी कि वैसी जगह स्वच्छ कर देना उसका नाम प्रतिक्रमण । अब तो निरी दाग़वाले कपड़े नज़र आते है। यह तो एक दोष का प्रतिक्रमण किया ही नहीं और निरे दोषों के भंडार हो गये हैं। यह नीरूबहन है, उसके सभी आचार-विचार कैसे उच्च हुए है? तब कहें, प्रतिदिन पाँच सौ पाँच सौ प्रतिक्रमण करती थी और अब तो बताती है, कि भीतर बारह सौ बारह सौ प्रतिक्रमण होते हैं। और इन लोगों से एक भी प्रतिक्रमण नहीं होता ! हमेशा ही जो करते है उसका आवरण आता है। आवरण आने से भूल ढँक जाती है, इसलिए भूल नज़र ही नहीं आती। भूल तो आवरण हटने से नज़र आयेगी और ज्ञानी पुरुष के पास वह आवरण टूटेगा, वरना खुद से आवरण टूटता नहीं। ज्ञानी पुरुष तो सारे आवरण फ्रेक्चर करके (तोडकर) उड़ा दें! प्रश्नकर्ता: प्रतिक्रमण को कैसे शुद्ध मानें? सच्चा प्रतिक्रमण कैसे होता है? दादाश्री : समकित होने के पश्चात् सच्चा प्रतिक्रमण होगा । दृष्टि सुलटी होने के बाद, आत्मदृष्टि होने के पश्चात् सच्चा प्रतिक्रमण हो सके। लेकिन तब तक प्रतिक्रमण करें और पछतावा करें तो उससे सब कम हो जाये। आत्मदृष्टि नहीं हुई हो और संसार के लोग, गलत होने के बाद पछतावा करें और प्रतिक्रमण करें तो इससे पाप कम बँधेंगे। आया समझ में? प्रतिक्रमण, पछतावा करने से कर्म नष्ट हो जायें! कपड़े पर चाय का दाग़ लगते ही तुरन्त उसे धो डालते हो ऐसा क्यों? १४ प्रतिक्रमण प्रश्नकर्ता: दाग़ निकल जाये इसलिए। दादाश्री : वैसे ही भीतर दाग़ लगने पर तुरन्त धो डालना चाहिए। यह दाग़ लोग तुरन्त धो देते हैं। कोई कषाय उत्पन्न हुआ, कुछ हुआ तुरन्त धो डाले तो साफ़ ही साफ़, सुन्दर ही सुन्दर! आप तो बारह महीने में एक दिन करते हैं, उस दिन सारे कपड़े डूबो दें ! हमारा प्रतिक्रमण शूट ऑन साइट कहलाये। अर्थात् आप जो करते हैं वह (सच्चा) प्रतिक्रमण नहीं कहलाये। क्योंकि आपका एक भी कपड़ा धुलता नहीं है। और हमारे तो सभी धुलकर स्वच्छ हो गये । प्रतिक्रमण तो उसका नाम कहलाये कि कपड़े धुलकर स्वच्छ हो जायें । कपड़े रोजाना एक-एक करके धोना पड़े। तब जैन क्या करते हैं? बारह महीने होने पर बारह महीनों के कपड़े एक साथ धोते हैं! भगवान के वहाँ तो ऐसा नहीं चलेगा। ये लोग बारह महीने पर कपड़े उबालते हैं कि नहीं? यह तो एक-एक करके धोना पड़े। पाँच सौ पाँच सौ कपड़े (दोष) रोजाना धुलेंगे तब काम होगा। जितने दोष दिखाई पड़े, उतने कम होंगे। इनको रोजाना पाँच सौ दोष दिखाई पड़ते हैं। अब दूसरों को नहीं दिखाई पड़ते, उसकी क्या वज़ह ? अभी उतना कच्चापन है, क्या कुछ बिना दोष का हो गया है, जो नहीं दिखाई पड़ते ? ! भगवान ने रोजाना (अपने दोषों का ) बहीखाता लिखने को कहा था, अभी बारह महीने पर बहीखाता लिखते है, जब पर्युषण आता हैं तब । भगवान ने कहा था कि सच्चा व्यापारी हो तो रोजाना लिखना और शाम को लेखा-जोखा निकालना। बारह महीने पर बहीखाता लिखता है, फिर क्या याद होगा? उसमें कौन सी रकम याद होगी? भगवान ने कहा था कि सच्चा व्यापारी बनना और रोज का बहीखाता रोज लिखना और बहीखाते में कुछ गलती हो गई हो, अविनय हुआ हो तो तुरन्त ही प्रतिक्रमण करना, उसे मिटा देना ।

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