Book Title: Prakrit Vigyan Pathmala Margdarshika
Author(s): Somchandravijay Gani
Publisher: Surendranagar Jain SMP Tapagachha Sangh

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Page 470
________________ ४३१ परलोअ-ग पुं. (परलोक) ५२यो . | परलोयहिअ वि. (परलोकाहित) પરલોકમાં હિત કરનાર. पराभव पुं. (पराभव) ५राम, हारी org. परिक्खण न. (परीक्षण) परीक्षा १२वी. परिच्चत्त । वि. (परित्यक्त) परिचत्त । त्या रायेद. परिणय वि. (परिणत) ५२५४१. परिणीय वि. (परिणीत) ५२णे. परिमाण न. (परिमाण) मान, मा५. परिसर पुं. (परिसर) समी५. परिसा स्त्री. (पर्षद्-परिषद्) समा परिहा स्त्री. (परिखा) मा. परोवयार पुं. (परोपकार) ५२नो ઉપકાર. पवण पुं. (पवन) ५वन, वायु पवयण न. (प्रवचन) मागम, सिद्धान्त. पवासि-सु। पुं. (प्रवासिन्) पावासु मुसा३२. पविट्ठ वि. (प्रविष्ट) प्रवेश ४३८. पवित्तया स्त्री. (पवित्रता) पवित्र. पव्वज्जा स्त्री. (प्रव्रज्या) lu. पव्वय पुं. (पर्वत) पर्वत पसत्त पुं. (प्रसक्त) प्रसन मासन. पसाय . (प्रसाद) मढेरवानी, या ५L पसु पुं. (पशु) ५४. पहार पु. (प्रहार) प्रहार. पहाव पुं. (प्रभाव) प्रमाप, शनि, सामर्थ. पहावग वि. (प्रभावक) प्रमा, પ્રભાવના કરનાર, ઉન્નતિ કરનાર. पहिअ पुं. (पान्थ-पथिक) मुसा३२. पहु पुं. (प्रभु) प्रभु, स्वामी. पाइअ) वि.(प्राकृत) प्राकृत भाषा, पागय स्वामाqिs, नीय, सापा२३. पाइयकव्व न. (प्राकृतकाव्य) प्रातडाव्य. पाइअवागरण न. (प्राकृतव्याकरण) प्राकृतव्याऽ२. पाउस पुं. (प्रावृष्) वर्षातु, योमासु पाढसाला स्त्री.(पाठशाला)पाशाIL पाण पुं. न. (प्राण)न्ट्रय विगैरे દશ પ્રાણો. (પાંચ ઇન્દ્રિય, त्रालय, वासो-७पास, मायु:) पाणाइवाय पुं. (प्राणातिपात) જીવહિંસા, પ્રાણોનો નાશ. पाणि पुं. (पाणि) य. पाणि पुं. (प्राणिन्) ७५, प्रा.

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