Book Title: Prachin Stavanavali Author(s): Mannalal Mishrilal Chopda Publisher: Mannalal Mishrilal Chopda View full book textPage 8
________________ श्री श्री १००८ श्री जैनाचार्य श्री जिनयशः सूरिजी महाराज साहबका संक्षेप जीवनचरित्र " प्रिय वाचकवृन्द ? शान्तमूर्ति महातपस्पी श्रीमद् " जिनयशः सूरिजी " महाराजका जन्म सं० १९१२ में जोधपूर ' नगरे हुवाथा, गृहस्थापन में आपका नाम 'जेठमलजी' था. आपका जैनधर्म से अत्यन्त प्रेमथा, बाल्यावस्था से ही जिनेन्द्र पूजा - प्रतिक्रमण - ज्ञानाभ्यास आदि धर्मकरणी में लीन रहते थे । गृहस्थावस्था में ही आपने अठ्ठाई, पन्दरह, पैंतींश इक्कावक उपवास की तपश्चर्या कीथी । आपने अपनी २८ वर्षकी युवावस्था में ही निज जन्म भूमि जोधपूर में श्रीमान् पूज्यपाद धर्मधुरंधर परोपकार तत्पर शासन रक्षक सदुपदेश दाता प्रातः स्मरणीय, सुसंयमी प्रसिद्ध महात्मा "श्रीमन्मोहनलालजी" महाराजके पास सं० १९४० में बडे धामधूमके साथ दीक्षा ग्रहण की तबसे आपका नाम " श्रीमद् यशोमुनि " स्थापन हुवा. दीक्षा लेने के बाद भी आपने अट्ठाई, पन्द्रह, मासक्षमण आदि अनेक तपस्यायेंकी और अंग उपाङ्ग सूत्रादि श्रीPage Navigation
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