Book Title: Prachin Stavanavali Author(s): Mannalal Mishrilal Chopda Publisher: Mannalal Mishrilal Chopda View full book textPage 7
________________ इसको श्रीखरतरगच्छ गगनांगण नभोमणि - अनेक भव्य प्रतिबोधक - शांत वचन - समदृष्टि - प्रशांत चित्त - पुन्यमूर्ति-मुनी"श्वर-श्रीमन्मोहनमुनिजी महाराज. प्रसिद्ध नाम श्रीमोहन 'लालजी महाराजके आज्ञानुवर्ति मुख्य शिष्य - परम शांत - परम 'तपस्वी आचार्य प्रवर श्रीमज्जिन यशः सूरीश्वरजी प्रसिद्ध नाम "पन्यासजी - श्रीजस मुनिजी महाराजकी आज्ञानुयायिनी साध्वी'श्रीमति आनन्दश्रीजी की विदुषी शिष्या श्रीमति कल्याणश्रीजीने "तैयार कियाहै, इस स्तवनावली में अन्यान्य स्तवनोंके साथ "श्रीजेसलमेर में बनाये हुए अनेक जूने जूने स्तवन हैं । #D इस पुस्तकको जेसलमेर (अभी आरबी) निवासी सुश्री राजमलजी सकलेचाकी धर्मपत्नी श्रीमति भूरीबाई आदि श्राविकाओंकी प्रेरणासे तथा उन्हीकी द्रव्य सहायता से छपाके प्रकाशित किया गया है, इसमें छापनेवालेकी गफलतसे या दोषसे जो कोई भूल रहगई हो उसको पाठक गण सुधारके पढें इति शम् ॥ संवत् १९८९ महासुदि रतलाम ( मालवा ) निवेदक, पं० केशरमुनिजीPage Navigation
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