Book Title: Prabhavaka Charita
Author(s): Prabhachandracharya, Jinvijay
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 12
________________ समर्पणम् - प्रभाचन्द्रमुनीन्द्रवद् यः सत्साहित्यनिर्मितौ । मनोवाक्काययोगेन सततं सुप्रयत्नवान् ॥ प्रद्युम्नसूविच्चापि बहूनां विदुषामसौ । शास्त्राणां शोधनं कुर्वन् परमादरतां गतः ॥ आविद्याध्ययनाद् यावद् ग्रन्थसंशोधनादिषु । पुस्तकादिप्रदानेन यो ममापि सहायकृत् ॥ तस्मै पुण्यप्रतिष्ठाय ज्ञानदानपरात्मने । श्रीपुण्यविजयाख्याय मुनये सौम्यमूर्तये ॥ तत्सौहार्दगुणाकृष्टो हृष्टो हार्दिकभावतः। करोम्यहं कृतेरस्याः समर्पणं स्वतर्पणम् ॥ -जिन विजयः

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