Book Title: Pathikvaggatthakatha
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 270
________________ [ओ-क] 1 एकगुणोषि ७१ एकग्गचित्तस्स - २२७ एककुलम २९ एकधम्मो - १४४ एकनामाति १३२ - एकनीहारेन - ८१ एकपटिवेधवसेन - १८४ एकपल्- ९९ एकपादेन - २० एकपुग्गलो- ७५ एकपुरिससन्धारणी - ७६ एकबुद्धधारणी-७६ एकलक्खणा ६० एकविहारीति - १२६ एकसिक्खा ७६ एकानुसासनी - ७६ एकायनो १८३,२१८ एकासनिक - १८१ एकासने - ९९ एकीभावमत्तेन - २२७ एकीभावो - २२७ एकेकलोमलक्खणञ्च - १०९ एकोदिकीभूतन्ति - ४४ एकोदिभावाधिगतो - २२५ एणिजलक्खणं - १०२ एतदानुत्तरियन्ति ५३.५९ एकदुस्सं १७४ एवंसीलाति आदीसु ५६ ओ ओकप्पनसद्धा १९३ ओघतरणा- ७४ ओघाति - १८८ ओजसि १३५ Jain Education International सद्दानुक्कमणिका ओजाति- १३० ओट्ठवचित्तकाति - १३६ ओतारन्ति - २७ ओदनकुम्मासन्ति ७ ओपपातिका - ४४, १४५, १८८ ओपाधिकतरानीति - ८५ ओभासेत्वाति - १३१ ओरसोति - ४४ ओरोधेय्यामाति - १७ ओलोकनकम्मं - १०८ ओलोकितसञ्चय - २७ ओहितभारो - ४३ ओहितोति ४३ ओळारिक सुखुमता - १८५ - क ककुसन्धो १७३ कक्खळत्ताय २०६ कतीति १५८, १९४, १९५ कङ्क्षावितरणविसुद्धीति - २२७ कच्छपियाति १६६ कच्छपो- १६६ कच्छुत्तमत्तं - ९१ कणिकारपुप्फसदिसो ४४ कष्टको ९४ 13 - - कण्ठमभिपूरयित्वा - ७६ कण्णसुखाति ११० कण्हन्ति ५९, १८७ कण्हविपाकन्ति - १८७ कण्हविपाकाति ४२ कण्हसप्पो - ११२ कण्डसुक्कविपाकन्ति १८७ कण्हसुक्कं - ५९ कण्डोति ४१ -- - For Private & Personal Use Only — [१३] www.jainelibrary.org

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