Book Title: Pathikvaggatthakatha
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 301
________________ [४४] दीघनिकाये पाथिकवग्गट्ठकथा [व-व] विपस्सनागमनेन-१६८,१६९ विपस्सनाआणेन - २२६ विपस्सनाजाणं-५२,१५१ विपस्सनाति-५८ विपस्सनानन्तरो-२२१ विपस्सनानिस्सन्दो-१९५ विपस्सनापञ्जा-६९,१६८ विपस्सनापादकज्झानं-७२,१६८ विपस्सनाभावञ्च-१८४ विपस्सनामग्गेन-१६३ विपस्सनामत्तकम्पि-१८४ विपस्सनायेतं-२०३ विपस्सनं-६३, १५१, १७५, १९७ विपस्सीयेव-१३१ विपाकज्झानसुखं-१६६ विपाकन्ति-६ विपाकविज्ञाणन्ति-१८६ विपाकोति-६ विपाकं-६, २९ विपापोति-१११ विपुलत्ताति-९३ विपुललाभी-७२ विपुलविसुद्धबुद्धिना- २३१ विप्पटिपन्ना-१२३ विभवतण्हा- १५४ विभवदिट्ठीति-१४५ विमानवत्थुस्मिं-१६२ विमुच्चतीति-१९६ विमुत्तानुत्तरियं-१६८ विमुत्तायतनानीति-१९६ विमुत्ति-५१, १९७, २२२ विमुत्तिक्खन्धं-१०३ विमुत्तित्राणदस्सनसम्पन्ना- १४० विमुत्तित्राणदस्सनं-५१, ५२ विमुत्तिपरिपाचनीयाति-१९७ विमुत्तीति-१५१, २२२ विरत्तरूपाति-८० विरागधम्म-१०३ विरागसञाति-१९७ विरागानुपस्सनाजाणे - १९७ विरागानुपस्सनं-१८२ विरागो-१८४ विरुज्झतीति-१४२ विरुद्धवचनं-८० विरूळ्हं-४७ विलासिनिं-२३० विवटेन-१७२ विवगामिकुसलं-२९ विवट्टगामी-२९ विवट्टानुपस्सनं-१८२ विवादाधिकरणं-२०४,२०५ विवाहका-११७ विविधपक्खिसङ्घसमाकुला-१३५ विवेकजं-३७ विवेकट्ठकायानं-१६७,२२७ विवेकनिन्नन्ति-२२६ विवेकनिस्सितन्तिआदीसु-१८४ विवेको-१८४ विसङ्घारगतानन्ति-२२७ विसटोदको-१३२ विसदजाणो-५७ विसमद्वितावयवलक्खणो-१०० विसमलोभोति-३३ विसयखेत्तं-७२ विसहीति-३ विसाखा-४० विसाखाति-३९ विसिट्ठो-७७ विसुद्धिमग्गतो-१७८ विसुद्धियाति-२२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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