Book Title: Pathikvaggatthakatha
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 287
________________ [३०] - पटिसङ्घानबलन्ति - १४९ पटिसङ्घानुपरसनं १८२ पटिसन्थरणं - १४९ पटिसन्धारे १९८ पटिसन्धिग्गहणं ७३ पटिसन्धिवसेन - ६२, १५१ पटिसम्मिदापत्तेहि ७४ पटिसम्भिदामग्गे - १८२, १८३ पटिसल्लानसारुप्पानीति - १६ पटिसल्लीनोति १५ पटिस्सतिमत्ताय १८३ पटिस्सतोति १७९ पटिहारकन्ति - १०९ पट्ठानं - ७४ पठमज्झानसमाधि - १६८ पठमज्झानसमापत्ति - ६४ पठमज्झानसुखं १६६ पठमज्झानं ६३ ६४. १९६ पठममग्गवज्झा - १५७, १९२, २०० - - - A पठममग्गो - ६५, १९८ पठ झानं ५१, १८२ पणिधिकारककिलेसाभावा १६९ - पणीततरञ्च - २२ पणीतधातु १५४ पणीतपणीतन्ति - ५९ पणीतभोजनदानं - ९८ पणीतलाभिता - ९८ पणतो - २२५ पण्डरविपाकं १८७ - पण्डरो - ४१ पण्डितदोवारिकेहि - ५७ पण्डितदोवारिको ५८ पण्डितदोवारिकं - ५८ पण्डितो ७३ १२७ पण्डुपलासं ९६ - - दीघनिकाये पाचिकवग्गगुकथा Jain Education International 30 पण्डुसीको १० पण्णसानं - ३६ पहिकोण्डा - ९७ - पतिद्वितसद्धो ४३ पतितमक्कटो - ५६ पतितमुसला ४९ पतित्थियना १०५ पतिरूपदेसवासोति २२३ पलक्खन्धोति २३ पत्तचीवरमादाय - ५१ पत्तचीवरं ८२ पत्तपिण्डिक १८१ पत्तयोगक्खेमाति - ८४ पत्तिदानं - १२३ पत्तिं - १३७ पथवीकसिणं - २११ पथवीधातुतेजोधातुवायो धातुभेदं - ८८ पथवीधातूति १९९ - पथवीरसो- १४४ - पथवोजं - १४१ - -- पदक्खिणं - २१० पदसोधम्मं १५९ पदालता - ४७ पदीपतेलं ९६ पदीपसिखा - १४१ पदीपेय्यन्ति - ९६ पदुमपुष्कं १६१ पदुमवने १३६ - - - पदुमवनं - १४० पदुमुत्तरं ३९ पधान-२२७ पधानवीरियं - १९३ पधानसङ्घारा - १७१ पधानियङ्गानीति – १९३ - पधानं ६४, ८९, १५९, १९३, १९४ For Private & Personal Use Only [प-प] www.jainelibrary.org

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