Book Title: Pathikvaggatthakatha
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 286
________________ [प-प] सद्दानुक्कमणिका [२९] पच्चेकबोधिसत्तानञ्च-६२ पाभावना-१६८ पच्छिमदस्सनं-७५ पञआयाति-६६, १०४, १०७, १८८, १९७, २०२, पच्छिमा- १२२ २२६ पजानना-१५१, १६९ पाविमुत्तस्स-६६ पजाननाति-१४६, १४७, १४९, १५० पञ्जाविमुत्ति-१४० पञ्चकामगुणिको-१५४,१५६,१८८ पञाविमुत्तोति-६५ पञ्चङ्गिकंसम्मासमाधि-५२ पञावुधं-१६७ पञ्चत्राणिको-२२५ पञ्जावेपुल्लपत्तिया -१६८ पञ्चदस-४७,५२ . पञ्चिन्द्रियं-६६,२२८ पञ्चद्वारिककायो-१६८ पटवासिनी-२११ पञ्चधम्मवण्णना-२२४ पटिकूलसञ्जी-७०,७१ पञ्चनीवरणेपाहं - १४३ पटिग्गाहकतोति-१८९ पञ्चवण्णा-७८ पटिघसञ्जे-१८२ पञ्चवोकारभवस्मिहि-१८५ पटिघोति-१६३ पञ्चसीलदससीलचतुपारिसुद्धिसीलपूरणकाले-९३ पटिच्चसमुप्पन्न- १०३ पञ्चसीलानि-२०२ पटिच्चसमुप्पादकुसलताति-१४७ पञ्चातपं-२० पटियातकरणं -२०६ पञ्चाभिआ-७३ पटिपत्तिअन्तरधानन्ति-७३ पञ्चिन्द्रियानीति-६० पटिपदाचतुक्कं- १८६ पञ्चुपादानक्खन्धा-१५८ पटिपदाआणदस्सनविसुद्धीति-२२७ पञ्चुपादानक्खन्धाभिमुखं-१९६ पटिपदानुत्तरियं-१६८ पञत्तसिक्खापदस्स-१५२ पटिपदासु-५३ पञवतोति-२२७ पटिपन्नो-७२, १९५ पञवाति-६९ पटिपुग्गलोति-७८ पा -१७,३२,५१,५२, ५३,६६,६७,६८,६९, | पटिप्पस्सद्धलद्धो-२२५ १४६, १४७, १४९, १५०,१५१, १६६, १६७, | पटिबद्धचित्ता-१६६ १६८,१७०, २०२, २२४ पटिभानपटिसम्भिदा-५२ पाक्खन्धं-१०३ पटिभानवाति-१२७ पञाचक्खु-१६७ पटिभानसम्पन्नो-६९ पाति-६७,१६६, १६७, २२७ पटिलाभसन्तोसो-१७५,१७६,१७९,१८० पञआधनं-२०२ पटिविरताति-३१ पाधिट्ठानं-१८७ पटिविरूळ्हन्ति-४७ पापटिलाभहेतू-५२ पटिवेधअन्तरधानं-७३ पापारिपूरिन्ति-२४ पटिवेधधम्मे-१९५ पापुब्बङ्गम-६६ पटिवेधोति-७३ 29 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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