Book Title: Pathikvagga Tika
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 309
________________ [२०] दीघनिकाये पाथिकवग्गटीका पन्नसखाति-१२० पब्बन्तीति-२७ पभेदाति-२५२ पमाणेन -७८, २०४ पमोदलक्खणं-२२४ पयोगसम्पादनत्थन्ति-१२७ परचित्तञाणसहगता-६४ परचित्तविभावनं-६ परनिम्मितकामा - १८५ परनिम्मितवसवत्तीनं-१८५ परमत्थदीपनियं-५१,१४९ परमत्थमञ्जूसायं-१८१,१८९ परमत्थविसुद्धिनिब्बानञ्च -१६२ परमवोदानप्पत्तानन्ति-१८७ परमसुगन्धं-१३९ परवादभिन्दनन्ति-२१ परसञ्चेतनाय-२१६ परामसतीति- १८,१६९ परिकम्मन्ति- १४३ परिकम्मेनाति-१५९ परिचारेन्तीति-७२ परिच्चागचेतना-९३,१८३ परिच्छिन्दनकजाणं-६४ परिञादिकिच्चकरणं-१८२ परिञायाति - २५१ परिणमतीति-२०८ परिणमनसीलं-२०८ परिनिब्बानसुत्ते - ४८ परिपाचेन्तीति - २२४ परिपुण्णन्ति -१३३ परिपुण्णमण्डलो-४० परिबाहिरोति - २०४, २०५ परिब्बाजिकायाति-७२ परिभासन्ति -७८ परियत्तिअप्पिच्छोति-२५८ परियत्तीति-२१० परियादियमानोति-६९ परियुट्ठानपरिच्चागं - २१४ परियेसितन्ति-८६ परियोसानकल्याणं-१९८ परियोसानदस्सनत्यन्ति-५९ परियोसितसिक्खो-१८२ परिसुद्धताति-३५ परिसुद्धपरिवारो-११२ परिसुद्धपाळिदस्सनत्थन्ति-१९ परिसुद्धसीले -६८ परिसुद्धाति-१६ परिसोधेतीति-६८ पलासतीति- २२६ पलासीपुग्गलो - २२६ पलिबुद्धजिव्हा-१११ पलिबुन्धतीति-२१५ पवत्तचित्तचेतसिकधम्मा-१८० पवत्तत्राणं-८५,१६३, १९१, २०८ पवत्ततण्हा- १५४ पवत्तनकाणन्ति-२५४ पविवित्तस्साति-२५८ पविसतीति-६०,११८,२२३ पवेदनं-७८,१४३ पसटन्ति-१०९ पसादसद्धा-१०८ पसारियतीति-९३ पसंसनीयाति-१३१ पस्सद्धकायसङ्खारो-३६ पहातब्बोति-५६, २०७, २४९ पहानपरिचाव-२५१ पहानानुपस्सनायाति-२४९ पहासीति-११२ पहूतजिव्हादिलक्खणवण्णना-१११ ।। पाकारसन्धि-५५ पाटिपददिवसेति-३९ पाटिपदिकं -२०४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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