Book Title: Pathikvagga Tika
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 311
________________ [२२] फरुसवाचा - १३६, २४१ फलञाणं - २०८ फलधम्मो - २०८ फलन्ति - ११९, १३९, १४१,२५१ फलपञ्ञा - २०८, २४५, २५१ फलसतिपट्ठानं - ५८ फलसमापत्तिझानानीति - १९४ फलसमापत्तिधम्माति - २४५ फलसम्पयुत्तधम्माति - २४५ फलसीलं - २१३ फस्सवेदनादीनं - १५३ फस्ससमुदयाति - १९६ फस्ससुखं - १८५ फुट्ठन्तो - ६५ फुट्ठाति - २१ ब बद्धजिव्हाति - १११ बलवलोभत्ताति - २७ बलवविपस्सनावसेन - १०४ बहिद्धधम्मा - २२५ बहद्धा संयोजनो - २१९ बहमुखोति - १०५ बहिवङ्कपादता - ९८ बहुकारोति - २४८, २४९ बहुजनप्पमद्दनं - १११ बहुधातुकसुते - १०२ बहुस्सुतो - १८३, १८४ बाहिरपरिस्सयो - १२७ बीरणत्थम्बकन्ति - ५ बुज्झतीति - ४६ बुद्धकरधम्मा - ९४ बुद्धकिच्चस्स - ५५ -७५ बुद्धधम्मा - ४९, १७६ Jain Education International दीघनिकाये पाथिकवग्गटीका बुद्धभावं - ९४ १-७६ बुद्धभूमि - बुद्धरस्मियो - १४८ बुद्धवचनन्ति - १८७ बुद्धविसयोति - ५ 22 - बुद्धाति ५५ बुद्धोति-७, २५ बोज्झङ्गा - ५६, ६७, २०७ बोधिजं - ८५ बोधिपक्खियदेसनापटिपाटिया - ४६ बोधिपक्खियधम्माति - २४ बोधिपक्खियानं – ४६ बोधमूले - ८५, १७५ ब्यञ्जनं - ८२, १३९, १४३ ब्यन्तीभूतन्ति - २५७ ब्यसनं - ११, २१९ ब्याकतन्ति - ८७ ब्यापादयतीति - २४१ ब्रह्मकायोति - ३८ ब्रह्मचरियवासन्ति -३६ ब्रह्मचरियस्साति - १७० ब्रह्मजाति - ३८ ब्रह्मदायादा - ३४ ब्रह्मनिम्मिता - ३४ ब्रह्मलोकन्ति - १६८ ब्रह्मविहारभावना - २१२ ब्राह्मणकुलाति -- ३४ ब्राह्मणाति - ४४ भ भक्खसं - ५ भगवतोति - १७५ भगवाति - ८५, १३५ भङ्गक्खणेपि – १९५ भङ्गोति- १७२ For Private & Personal Use Only [ब-भ] www.jainelibrary.org

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