Book Title: Pathikvagga Tika
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 326
________________ संदर्भ-सूची पालि टेक्स्ट सोसायटी (लंदन) – १९७० पालि टेक्स्ट सोसायटी पृष्ठ संख्या पालि टेक्स्ट सोसायटी प्रथम वाक्यांश वि. वि. वि. वि. वि. वि. पृष्ठ संख्या पंक्ति संख्या army - Gm Fati om अपुब्बपदवण्णना महिद्धिकतं महानुभावतन्ति तुच्छपुरिसाति भुम्मवसेन पटिनिद्देसो अपक्कमीति अत्तना सुन्दररूपो ति भुजित्वा भगवता अचेलस्स मरणचित्तविभावनं कम्पखुरभावं आपज्जिंसूति यस्मा तथावुत्ता अभावा ति पुब्बे इतो चितो संसप्पति वरं वरन्ति तथागते ति आदि जलदुग्गं विय ब्रह्मजालसंवण्णनायं उदुम्बरिकायाति यावता ति यावन्तो अद्धिकजनस्साति नानापटिभानुप्पत्तिया विसाद पीतिसोमनस्सन्ति पारिपूरि, न सब्बेसं मुच्छितो होतीति अचेलकादिवसेनाति 5 ww 9 VVO 2028300MR MAXv_wewr veNLAL » & 37 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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